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आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ का पारसोला में 56 वे चातुर्मास हेतु भव्य एवं ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

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  • शोभा यात्रा में उमड़े हजारों श्रद्धालु, गुरुदेव के जयकारों से गूंजा नगर ।
  • नगर के जिनालयों के किये दर्शन।
  • चातुर्मास अहिंसा महाव्रत के पालन हेतु किया जाता है।
  • 27 वर्षों बाद होगा नगर पारसोला में चातुर्मास – आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

पारसोला | आज मंगल बेला में संघ का प्रवेश पारसोला नगर में हुआ है । नगर की भक्ति बहुत अधिक है अनेक वर्षों से वर्षायोग के लिए धैर्य पूर्वक निवेदन करते रहे। भक्ति में शक्ति होती है ।इसलिए ‌ विहार के पूर्व संघ ने चातुर्मास की स्वीकृति विगत माह में दे दी थी। समवशरण में वीतरागी, सर्वज्ञ , हितोपदेशी भगवान दिव्य घ्वनि से दिव्यदेशना देते हैं समवसरण में तीन गति देवगती मनुष्य गति और तिर्यच गति के जीव धर्म देशना को श्रवण करते हैं भगवान सभी को धर्म के पालन से सुख का मार्ग का मार्ग बताते हैं। यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने पारसोला नगर में मंगल प्रवेश के अवसर पर आयोजित धर्म सभा में प्रगट की। राजेश पंचोलिया अशोक जैतावत अनुसार आचार्य श्री ने प्रवचन में आगे बताया कि पहले सड़क किनारे वृक्ष बहुत अधिक होते थे किंतु अब वृक्ष बहुत कम होते जा रहे हैं वृक्ष से हमें ऑक्सीजन मिलती है और पर्यावरण शुद्ध रहता है। आचार्य श्री ने वृक्षारोपण किया जाने पर जोर दिया ।हिंसा संसार में बहुत ज्यादा हो गई है आप लोगों द्वारा जो दैनिक कार्य किया जाता है खाना खाया जाता है पानी पिया जाता है दैनिक के कार्य किए जाते हैं उसमें भी आप अहिंसा का ध्यान नहीं रखते हैं
हिंसा वाणी से भी होती है अहिंसा महाव्रत के धारी साधु वर्षाकाल में बहुत अधिक छोटे बड़े जीवों की उत्पत्ति होने के कारण,वह अपना अहिंसा महाव्रत के परिपालन के लिए वर्षायोग चातुर्मास करते हैं। क्योंकि अहिंसा का पालन करना जरूरी है भगवान, गुरुऔ ने भी यही अहिंसा का उपदेश दिया है। चातुर्मास में आपको गुरुओं का सानिध्य प्राप्त होता है इससे ज्ञान में वृद्धि करने का प्रयास करें। 20 वीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी की मुनि दीक्षा सन 1920 में तथा आचार्य पद सन 1924 में दिया गया ।वर्ष 2024 में आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज का आचार्य पद का शताब्दी महोत्सव मनाया जाना है आचार्य शांति सागर जी महाराज ने अपने जीवन में संयम धारण कर संयम का उपदेश दिया परम उपकारी आचार्य देव के उपदेशों का पालन करना चाहिए उनका आचार्य शताब्दी महोत्सव उत्साह और भक्ति से मना कर कार्यक्रम सफल बनाना यही भावांजलि होगी।
यह मंगल देशना पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमानसागर जी ने धर्म प्राण नगरी पारसोला में व्यक्त की
आचार्य श्री आगवानी दिगंबर जैन समाज एवम चातुर्मास समिति के सदस्यों ने की । ‌समाज के जय घोष बैंड के साथ बैंड बाजों की मधुर धुनों पर नाचते गाते श्रद्धालुओं भक्ति रस बरसाते हुए आगवानी की। परम पूज्य वात्सल्य वारिधि 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश श्यामा वाटिका स्थित वर्धमान सभागार में भव्य एवं ऐतिहासिक मंगल प्रवेश हुआ आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के साथ, मुनि श्री हितेंद्रसागर जी मुनि श्री प्रशम सागर जी मुनि श्री प्रभवसागर जी मुनि श्री चिंतनसागर जी मुनि श्री दर्शितसागर जी ,मुनि श्री प्रबुद्ध सागर जी मुनि श्री मुमुक्षुसागर जी ,आर्यिका श्री शुभमति जी,आ श्री शीतलमती जी आ श्री चैत्यमती जी आ श्री वत्सलमति जी आ श्री विलोकमति जी ,आ श्री ज्योतिमतिजी श्री दिव्यांशुमति जी ,आ श्री पूर्णिमामति जी ,आ श्री मुदितमति जी ,आ श्री विचक्षणमति जी ,आ श्री समर्पितमति जी ,आ श्री निर्मुक्तमति जी, आ श्री विनम्रमति जी ,आ श्री दर्शनामति जी,आ श्री देशनामति जी,आ श्री महायश मति जी ,आ श्री देवर्धिमति जी आ श्री प्रणत मति जी,आ श्री निर्मोहमति जी ,आ श्रीपद्मयश मति जी, आ श्री दिव्ययश मतिजी,क्षुल्लक श्री विशाल सागर जी आचार्य श्री 7मुनिराज,21 माताजी तथा 1 क्षुल्लक जी कुल 30साधु है। शोभायात्रा में हजारों समाज जन, मेवाड़ वागड़ के साथ ही देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओ आगवानी की। आचार्य श्री ससंघ के मंगल प्रवेश की भव्य शोभायात्रा का शुभारंभ शताधिक मंगल कलश शोभा यात्रा से हुआ जो सेवानगर मोड़ से शुरू होकर पुलिस थाना ,सन्मति नगर , मांडवी चौराहा,स्वामी विवेकानंद चौक ,पुराना बस स्टैंड होते हुए समस्त जिनालयों के दर्शन के बाद विभिन्न मार्गों से होती हूई श्यामा वाटिका परिसर में प्रवेश हुआ। शोभा यात्रा के मार्ग में आचार्य श्री के फ्लेक्स कट आउट स्वागत द्वार लगाए गए। उल्लेखनीय है की सामाजिक सदभाव का परिचय देते हुए जैन समाज के अतिरिक्त सभी समाज द्वारा शताधिक स्वागत द्वारों पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री पर पुष्प वर्षा कर चरण प्रक्षालन आरती कर उनका वंदन किया । इंद्र देवता भी पीछे नहीं रहे उन्होंने भी नगर में वर्षा कर नगर में आचार्य श्री के रिमझिम वर्षा से चरण पक्षालन किये । हजारों भक्तों ने नमोस्तु गुरुदेव नमोस्तु गुरुदेव आचार्य शिरोमणी श्री वर्धमान सागर के जयकारे लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया । इसके पूर्व वर्ष 1990,सन 1997,2002, तथा सन 2004 में गुरुदेव का प्रवेश हुआ था। आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को वर्ष 1990 में आचार्य पद इसी पारसोला नगर में मिला इसके बाद सन 1997 में आचार्य श्री ने वर्षायोग किया रत्नत्रय रूपी तीसरा वर्षायोग 2024 का 27 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद हो रहा है मंगल कलश स्थापना 20 जुलाई को आचार्य संघ द्वारा की जावेगी मंगल वर्षायोग हेतु आचार्य श्री का मंगल प्रवेश हुआ है । जयंती लाल कोठरी रिषभ पचोरी अनुसार वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाधीश आचार्य शिरोमणि 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज संघ का सानिध्य रहेगा। कार्यक्रम में मेवाड़ वागड़ सहित देश के विभिन्न प्रांतों से समाज जन पहुंचें। संगीतमयी मंगलाचरण पर भक्ति नृत्य का प्रस्तुति स्थानीय कलाकारों बालिकाओं ने किया, इसके बाद राजेश बी शाह अहमदाबाद ,समर कंठाली इंदौर ,पवन बोहरा निवाई संजय कोलकाता, पंडित हसमुख जी शास्त्री गज्जू भैया ने चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया। आचार्य श्री के पंचामृत द्रव्य से चरण प्रक्षालन समर कंठाली इंदौर ,सावन ,ने परिवार सहित किया , शास्त्र भेंट पंडित हंसमुख जी शास्त्री घरियाबाद ने किया कार्यक्रम संचालन ने किया । बाहर से आए अतिथियों का स्वागत जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष सूरजमल जी, महावीर मेदावत ,ऋषभ पचोरी ,प्रवीण पचौरी सं,पत्ति लाल सेठ आदि व्यक्तियों द्वारा किया गया। समाज द्वारा सभी के लिए वात्सल्य भोज का आयोजन किया गया।