- ट्रेकर की दक्षता 16 से 95 प्रतिशत तक पहुंची, 22.5 लाख बच्चों की जानकारी हो रही अपडेट
रायपुर | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के बाल रोग विभाग के प्रयासों से प्रदेश में कुपोषित बच्चों की निगरानी ‘पोषण ट्रेकर एप’ की मदद से 16 प्रतिशत से बढ़कर 95 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अब सभी बच्चों की जानकारी विभिन्न मापदंड़ों पर एक क्लिक में उपलब्ध है। इससे इन कुपोषित बच्चों को संतुलित पोषण प्रदान करने में काफी मदद मिल रही है। प्रदेश में ऐसे 22.5 लाख बच्चे हैं जिनकी पोषण संबंधी जानकारी अब नियमित रूप से अपडेट की जा रही है।
एम्स में बाल रोग विभाग के अंतर्गत स्थापित ‘स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर न्यूट्रीशन इंटरवेंशन्स’ की मदद से यह संभव हो सका है। सेंटर के कार्यक्रम निदेशक प्रो. अनिल कुमार गोयल ने बताया कि टेलीमॉनीटरिंग और टेलीमेंटरिंग की मदद से वर्ष 2023 में 106 न्यूट्रिशन रिहेब्लिटेशन सेंटर्स की टेली मॉनीटरिंग की गई। इसके साथ ही प्रदेश में 57 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की टेली मेंटरिंग की जा रही है। इसमें प्रमुख रूप से बच्चों के पोषण से जुड़े चिकित्सकों और आंगनवाड़ी कार्यक्रत्रियों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान कर पोषण ट्रेकर पर सही जानकारी प्रदान करने के बारे में बताया जा रहा है।
इसके परिणामस्वरूप 1100 आंगनवाड़ी सेंटर्स और 22 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यक्रत्रियों को पोषण ट्रेकर और ‘कम्युनिटी बेस्ड मैनेजमेंट ऑफ सिवियर एक्यूट मॉलन्यूट्रिशन’ प्रबंधन कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया है। बच्चों के कुपोषण के विभिन्न मापदंड़ों पर अब सटीक जानकारी इस सेंटर के पास उपलब्ध हो पा रही है। जनवरी 2023 से अब तक 208 बच्चों को चिन्हित किया गया है जो कुपोषण या अति कुपोषण का शिकार हैं। प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश में 14000 से ज्यादा कुपोषित बच्चों की नियमित निगरानी की जा सके।
इस संबंध में यूनीसेफ और एम्स के मध्य बैठक आयोजित की गई। इसमें कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) और यूनिसेफ के प्रदेश प्रमुख (कार्यकारी) विलियम हैंलोन जूनियर ने भविष्य की परियोजनाओं पर चर्चा की। श्री जिंदल ने प्रदेश स्तर पर पोषण संबंधी विस्तार कार्यक्रम को कार्यान्वित करने के लिए बाल रोग विभाग और यूनिसेफ की सराहना की।
उन्होंने कहा की संस्थान आदिवासियों की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही इस परियोजना की सफलता को अन्य राज्यों के साथ साझा करने और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला आयोजित कर अनुभव को अन्य चिकित्सकों को भी लाभान्वित करने पर सहमति बनी।
श्री विलियम ने सेंटर की विभिन्न सुविधाओं का दौरा कर कुपोषित बच्चों को प्रदान की जा रही सेवाओं की सराहना की। इस अवसर पर प्रो. गोयल और यूनिसेफ की पोषण विशेषज्ञ डॉ. अपर्णा देशपांडे और पोषण अधिकारी डॉ. महेंद्र प्रजापति भी उपस्थित थे।