Home रायपुर सिकल सेल पर और अधिक शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता

सिकल सेल पर और अधिक शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता

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  • रोगियों के लिए एम्स में स्टेम सेल और प्लाज्मा थेरेपी के प्रयास किए जा रहे

रायपुर | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने सिकल सेल एनीमिया पर और अधिक शोध एवं अनुसंधान पर बल दिया है। प्रदेश में सिकल सेल के बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए संस्थान में बोन मेरो ट्रांसप्लांट और प्लाज्मा थेरेपी के भी प्रयास किए जा रहे हैं।

एम्स के सामान्य चिकित्सा विभाग, बायोकैमेस्ट्री विभाग, अस्थि रोग विभाग और बाल चिकित्सा विभाग सहित कई विभाग मिलकर इस दिशा में शोध से सिकल सेल के उपचार की दिशा में कार्यरत हैं। इस संबंध में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक जिंदल ने कहा है कि एम्स में सिकल सेल के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। संस्थान में विशेष क्लिनिक के माध्यम से उन्हें संपूर्ण उपचार प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सिकल सेल से जोड़ों में दर्द, अत्यधिक कमजोरी, थकावट और सूजन की वजह से दैनिक दिनचर्या में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे गर्भाधान और प्रसव में भी दिक्कत हो सकती है। सिकल सेल एनीमिया के उपचार की सभी सुविधाएं एम्स में उपलब्ध हैं। गंभीर रोगियों के लिए ब्लड बैंक में रक्त के सभी कंपोनेंट भी उपलब्ध करवाए गए हैं।

अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक अग्रवाल ने बताया कि एम्स के अस्थि रोग विभाग में सिकलिंग रोगियों के लिए स्टेम सेल और प्लाज्मा थेरेपी के प्रयास किए जा रहे हैं। रोगियों को विवाह पूर्व काउंसलिंग और चिकित्सकीय परामर्श के बाद नियमित रूप से फोलिक एसिड आयरन की गोलियां लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कार्यक्रम में हेमेटोलॉजी विभाग की डॉ. सरोजबाला, प्रो. विनय पंडित, डॉ. संकल्प शर्मा, डॉ. हर्षल सांकले, डॉ. सुनील जोंधाले, डॉ. झसकेतन मेहेर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।