- साहित्य,संस्कृति और परंपरा का निर्धारण करती हैं – कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला
- साहित्य साधना में लीन कवियों का सम्मान मां भारती का सम्मान है- डॉ.पुरूषोत्तम चंद्राकर
रायपुर। लोकरंजनी लोककला मंच रायपुर तथा कला एवं साहित्य व रंगमंच के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था “संस्कार भारती” रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में कवि व साहित्यकारों के सम्मान में छत्तीसगढ़ साहित्य रत्न सम्मान 2024 कार्यक्रम का आयोजन रायपुर के सिविल लाइन स्थित वृंदावन हाल में किया गया।
जिसमें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे, मीर अली मीर, रामेश्वर वैष्णव , रामेश्वर शर्मा , सुशील भोले, डॉ. चितरंजन कर, श्रीमती शकुंतला तरार, डॉ. सीमा श्रीवास्तव, श्रीमती उर्मिला देवी उर्मी, राजेश जैन ‘राही’, डॉ. देवधर महंत, डॉ अनिल कुमार भतपहरी, गोविंद धनगर, राजेश चौहान, जनाब सुखनवर हुसैन, लोकनाथ साहू ‘ललकार’, शशि भूषण स्नेही, मिनेश कुमार साहू, डॉ. इंद्रदेव यदु ,विजय मिश्रा ‘अमित’, आरंग से महेन्द्र कुमार पटेल को सम्मानित किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर व अध्यक्षता सुश्री ललिता मेहर जी डी.एस.पी. रायपुर ने की।
सभी अतिथियों एवं कवियों का स्वागत डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर संचालक “लोकरंजनी” लोककला मंच रायपुर एवं अध्यक्ष संस्कार भारती रायपुर ने किया।
मुख्य अतिथि के आसंदी से डॉक्टर सच्चिदानंद शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य संस्कृति और परंपरा का निर्धारण करती हैं। नैतिक मूल्यों व देश-काल के बारे में जानकारी देती है। उन्होंने भाषा के विकास पर गंभीर होने की बात कहते हुए सभी कवियों को विश्वविद्यालय पधारने के लिए आमंत्रित भी किया। जिससे विश्व विद्यालय में अध्यनरत छात्र छात्राएं भाषा साहित्य व कला से भी जुड़ सके।
इस अवसर पर डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने सभी अतिथियों एवं कवियों साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृति व साहित्य के संरक्षण व संवर्धन के लिए साहित्य साधना में लगे कवियों व साहित्यकारों का सम्मान करना साक्षात मां भारती का सम्मान है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डी.एस.पी. ललिता मेहर जी ने कहा कि साहित्य कारों ने अपना पूरा समय साहित्य को संवारने में लगा दिया भाषा साहित्य व संस्कृति का विकास हो और भावी पीढ़ी भी साहित्य से जुड़ते रहें।
कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री रजनी चंद्रवंशी एवं पूजा बंछोर ने खूबसूरत एवं आकर्षक ढंग से किया।
वहीं संस्कार भारती व लोकरंजनी ने सभी आमंत्रित साहित्यकारों व कवियों को कुलपति डॉ सच्चिदानंद शुक्ला व डी.एस.पी. सुश्री ललित मेहर जी, संरक्षक श्री राकेश तिवारी जी, अध्यक्ष श्री रखी छत्रीय जी, उपाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र चौबे जी व डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर के करकमलों से सम्मान पत्र, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्र व एक एक पौधे भेंटकर छत्तीसगढ़ साहित्य रत्न सम्मान 2024 से विभूषित किया गया।
तत्पश्चात आमंत्रित सभी कवियों ने अपनी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से शमां बांधा। जिससे श्रोताओं की तालियों से वृंदावन हाल गुंजती रही।सभी कवियों साहित्यकारों ने संस्कार भारती व लोकरंजनी का आभार जताते हुए आयोजन की सराहना किए। कार्यक्रम के आयोजन संयोजन में संस्कार भारती से महामंत्री हेमंत माहुलिकर, कोषाध्यक्ष जागेश्वर मानसर, राकेश तिवारी, श्रीमती सविता तिवारी, रंजन मोढक, श्रीमती वृंदा तांबे, श्रीमती रंजना गुरु, श्रीमती शैल सार्वा, भोजराज धनगर,भवानी शंकर तिवारी, डॉ.मुक्ति बैस, सुश्री रजनी चंद्रवंशी, सुश्री पूजा बंछोर, सुश्री कुसुम शर्मा, सुश्री मोनिका गुप्ता, श्रीमती रानी गुप्ता, सुश्री प्रिया सिंह, सुश्री सुमन त्यागी, घनश्याम वर्मा सहित संस्कार भारती व लोकरंजनी की सदस्यों की अहम् भूमिका रही।इस अवसर पर बड़ी संख्या में कविता व साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रही।