रामगंजमंडी | परम पूजनीय भारत गौरव स्वस्ति भूषण माताजी की पुस्तक स्मार्ट कौन से आलेखित लेख आप सभी के बीच सांझा कर रहा हूं। बचपन में स्कूल में तीन काल सिखाए थे, भूतकाल जो बीत गया, वह हमारे हाथ में नहीं उसमें हम कुछ फेर बदल नहीं कर सकते। भूतकाल में जो गलती हो चुकी है, उसे सुधार नहीं सकते, वर्तमान में सुधार सकते हैं। वर्तमान में जो कर रहे हैं, वह ही हमारा है।
भगवान महावीर कहते हैं कि वर्तमान में हम जो भी कार्य करते हैं, उसका प्रभाव भूत और भविष्य दोनों पर पड़ता है। यह बात सुनकर आश्चर्य लगता है कि भूत पर क्या प्रभाव हो सकता है वो तो चला गया है। भविष्य की बात तो फिर भी मान सकते हैं, पर भगवान महावीर कहते हैं कि भूतकाल में जो कर्मबंध किए है, उनका फल तो भविष्य में मिलेगा। यदि वर्तमान में अच्छा कार्य किया है, तो पूर्व के बंधे कर्म भी ढीले पड़ जाते हैं और उसका फल अपना प्रभाव कम करके देकर निकल जाता है।
यदि जीव सम्यक दर्शन को प्राप्त करें, तो 70 कोड़ा कोड़ी सागर का कर्म मात्र अतः कोड़ा कोड़ी सागर रह जाता। इससे बड़ा चमत्कार और क्या हो सकता है। वर्तमान में प्राप्त किए सम्यक दर्शन से पूर्व के अनंत भव के कर्मबंधन ढीले हो जाते है। अतः वर्तमान में सत कार्य सद्भावों से करें, तो भूत, भविष्य, वर्तमान तीनों सुधर जाते हैं। कहा भी जाता है कि वर्तमान का पुरुषार्थ भविष्य का भाग्य कहलाता है।
सजा कम हो जाती है
जब कोई व्यक्ति गलती करता है तो उसे जेल में बंद किया जाता है। जेल में बंद कैदी यदि अच्छे आचरण के साथ जेल में रहे, तो उसकी सजा कम कर दी जाती है और वहां भी उत्पाद मचाता है, तो सजा और बढ़ा दी जाती है। ऐसा तो वर्तमान में देखने को मिलता है। जब सजा सुनाई गई थी, तब अधिक थी, लेकिन आचरण अच्छा किया, तो कम हो गई, बुरा किया तो अधिक हो गई। अतः वर्तमान का आचरण, हमारे भूत और भविष्य दोनों को सुधारता है। अतः कार्य करते हुए इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। पूर्व कर्मों को दोष देकर हम हताश न होये बल्कि अपने पुरुषार्थ उन्हें बदलने का प्रयास करें।