●शहर के दस जैन मंदिरों में सम्मलित हो रहे बच्चे बोले शिविर में मिलता धार्मिक ज्ञान
ललितपुर| श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर जयपुर द्वारा आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महामुनिराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक मुनिपुंगव सुधासागर महाराज की प्रेरणा से नगर के दस जिनालयों में श्रमण संस्कृति संस्कार प्रशिक्षण शिविर में आर्यिका सृष्टिभूषण माता जी ससंघ का सानिध्य मिल रहा है।जिसमें सम्मिलित सैकडों बच्चों का मानना है कि शिविर में धार्मिक ज्ञान का बोध होता है। जैन मंदिरों में प्रातः एवं सायंकाल धार्मिक शिक्षण में सम्मिलित होने के लिए बच्चे अनुशासित ढंग से सम्मलित होते हैं और लौकिक शिक्षण की तरह ज्ञानार्जन कर करते हैं और अन्तिम दिन परीक्षा के माध्यम से अपनी प्रतिभा का आंकलन करते हैं।
जैन अटामंदिर में आर्यिका सृष्टिभूषण माता जी द्वारा धार्मिक ग्रन्थ छहढाला एवं आर्यिका विश्वयश मति माता जी द्वारा इष्टोपदेश का शिक्षण शिविरार्थियों को कराया जा रहा है। आर्यिका श्री ने कहा बच्चों को लौकिक ज्ञान तो कहीं भी किसी भी स्कूलों में मिल जाता है लेकिन वह धार्मिक एवं नैतिकता से अछूते रहते हैं। जिसके लिए ऐसे शिविर जरूरी है। उन्होंने कहा इन शिविरों में जिनके बच्चे सम्मलित होते हैं वह धार्मिक ज्ञान से कभी अच्छूते नहीं रहते। उन्होंने कहा ग्रीष्मकाल में ऐसे शिविर अत्यन्त उपयोगी रहते हैं। शिविर संयोजक डा० आलोक शास्त्री एवं मुकेश शास्त्री ने शिविर की जानकारी देते हुए बताया कि नगर के दस जैन मंदिरों में शिविर के माध्यम से सांगानेर संस्थान के तीस विद्वानों द्वारा पन्द्रह विषयों पर आधारित लगभग 40 कक्षाओं पर शिक्षण कार्य किया जा रहा है जिसमें दो जार से अधिक बच्चे,श्रावक श्राविकाए प्रतिभाग कर रहे हैं। 31 मई को प्रातःकाल समाधिस्थ आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महामुनिराज के गुरू उपकार महोत्सव के उपलक्ष्य में अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र पर शिविर में प्रतिभाग करने बाले बच्चों द्वारा संगीतमयी सामूहिक पूजन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है।
शिविर में प्रतिभागी बच्चों का कहना है-
1- अंशी जैन का कहना है कि गर्मी की छुट्टी का सही उपयोग हो रहा है। प्रतिवर्ष लगने वाले शिविर में प्रतिभाग करती हूँ।शिविर में धार्मिक शिक्षा मिल रही है।
2- अनव जैन अंचल का कहना है कि शिविर में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा को भी पढ़ाया जा रहा है। हम सब बच्चों के लिए यह गर्व की बात है इसमें हमें अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं।
3-स्तुति जैन का कहना है कि शिविर में पढाई करके खूब आनंद आ रहा है।ध्यान कराने वाले भैया खेल-खेल में धार्मिक शिक्षा का ज्ञान करा रह हैं जिससे हमें बालबोध पुस्तक के प्रश्नोत्तरी याद हो रही है।
4-परी जैन का कहना है कि निर्यापक मुनि सुधासागर महाराज की प्रेरणा से ललितपुर में गुरू उपकार महोत्सव के रूप में शिविर लगना जैन समाज के लिए गौरव की बात है जिसमें अच्छे- अच्छे विद्वानों द्वारा सीख मिल रही है।
5-अभिनंदनी जैन का कहना है कि जब भी धार्मिक शिविर लगते हैं हम सम्मलित होते हैं इसमें हमें वह ज्ञान मिलता है जो कहीं नहीं। मेरे जीवन में ऐसा मौका बार बार आए जिससे हमें अधिक से अधिक धार्मिक ज्ञान का बोध हो सके।
6- देवांश जैन का कहना है कि शिविर में धार्मिक नैतिक संस्कारों के साथ प्रकृति संरक्षण का भी पाठ पढाया जा रहा है। वर्तमान समय में प्रकृति को किस तरह खुशहाल बनाया जा सकता है उसकी भी सीख हमें मिल रही है।
7- यथार्थ जैन का कहना है कि शिविर में हमें जीवन जीने की कला को सिखाया जा रहा है शिविर के
माध्यम से हम जीवन कौशलों की शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं।
8- अक्षत जैन का कहना है कि शिविर में धर्म की शिक्षा प्राप्त करके प्रतिदिन नियम भी दिया जा रहा है जिनका पालन करना भी सीख रहा है।जिससे जीवन में त्याग करने की भी सीख मिल रही है।