बता दें, छत्तीसगढ़ में अभी CSR राशि के व्यय पर राज्य शासन का अधिकार नहीं है। पिछले विधानसभा सत्र में कई विधायकों ने सीएसआर राशि के व्यय पर सवाल भी लगाए थे।
CSR व्यय की सही जानकारी नहीं मिल पा रही
उद्योग मंत्री ने मुख्यमंत्री साय को पत्र में लिखा- पिछले विधानसभा सत्र के दौरान कई विधायकों के माध्यम से उद्योगों के लाभ से सृजित होने वाली सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) मद से होने वाले कार्यों की जानकारी शासन से मांगी गई थी, छत्तीसगढ शासन स्तर पर सीएसआर मद और निर्माण में व्यय करने संबधी किसी भी प्रकार के नियम व अधिकार शामिल नहीं होने के कारण उद्योग विभाग द्वारा न कोई कार्य संपादित किया जा रहा है, और न ही सीएसआर से होने वाले व्यय की समीक्षा व सही जानकारी प्राप्त हो पा रही है।
पर्यावरण के नुकसान की हो सकेगी भरपाई
उन्होंने सीएम साय का ध्यान आकर्षित करते हुए आग्रह किया है कि सीएसआर का व्यय शासन स्तर पर किया जाए, तो उद्योगों से प्रभावित लोगों की मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि हो पाएगी, साथ ही पर्यावरण को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है।
श्रम एवं उद्योग मंत्री देवांगन ने सीएसआर मद से होने वाले व्यय व निर्माण कार्य राज्य शासन से संपादित करने और इस संबंध में स्पष्ट नीति नियम बनाने, भारत शासन से आवश्यक समन्वय करने का आग्रह किया है।
इस प्रयास से मिलेंगे सीएसआर के 1000 करोड़
प्रदेश में संचालित राष्ट्रीय स्तर की सार्वजनिक और निजी उपक्रम, अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट समेत सभी उद्योग सीएसआर मद के तहत सालाना 1 हजार करोड़ खर्च करते हैं। मंत्री श्री देवांगन का प्रयास है की राज्य शासन के माध्यम से ये राशि खर्च हो ताकि उद्योगों से प्रभावित लोगों के साथ-साथ ज्यादा जरूरतों पर जैसे- स्वास्थ, शिक्षा, कुपोषण, सिंचाई,आधारभूत संरचना पर CSR राशि खर्च हो।