- राजराजेश्वर मंदिर में भगवान शिव को कहा जाता है राजन्ना
- मंदिर में दर्शन से पहले पवित्र कुंड में करना होता है स्नान
- मंदिर परिसर में दरगाह, जो हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
नई दिल्ली- महाभारत के बाद पांडव अर्जुन के वंशज राजा नरेंद्र ने गलती से एक ऋषि के बेटे की हत्या कर दी थी। इस वजह से उन्हें कोढ़ हो गया। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, इसी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए राजा नरेंद्र ने धर्मगुंडम स्थित पुष्करणी तालाब में स्नान किया। उन्हें सपने में भगवान राज राजेश्वर और देवी राज राजेश्वरी ने दर्शन दिए। दोनों ने राजा नरेंद्र को एक मंदिर बनाने का आदेश दिया। इसके बाद परीक्षित ने पुष्करणी तालाब के पास ही शिव लिंगम की स्थापना की। बाद में परीक्षित के पोते राजा नरेंद्र ने 750 से 973 ईसवी के दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया। महाभारत के अनुसार परीक्षित अर्जुन के पौत्र अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र और जनमेजय के पिता थे। जब ये गर्भ में थे तब अश्वत्थामा ने ब्रम्हशिर अस्त्र से परीक्षित को मारने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए आज मिशन दक्षिण के तहत तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं। वे दोनों राज्यों में कुल 3 जनसभाएं और एक रोड शो करेंगे। इसी दौरान उन्होंने तेलंगाना में राजा राजेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर में एक कोड (बैल) है, जहां श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। इसे भगवान शिव का वाहन (नंदी) माना जाता है। मंदिर के अंदर एक विशाल शिव लिंगम है, जिसकी पूजा-अर्चना पीएम मोदी ने भी की।कभी चालुक्यों की राजधानी रहा यह स्थान
वेमुलावाड़ा राज राजेश्वर मंदिर करीमनगर से 38 किमी दूर स्थित है। ऐतिहासिक तौर पर यह मंदिर वेमुलावड़ा चालुक्यों की राजधानी में है, जिन्होंने 750 से लेकर 973 ईसवी तक यहां शासन किया। जिस गांव में यह मंदिर बना है, उसे लेमुलावाटिका कहा जाता है। मंदिर के पीठासीन देवता राज राजेश्वर स्वामी हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से राजन्ना के नाम से जाना जाता है। राज राजेश्वर की प्रतिमा के दाहिनी ओर राज राजेश्वरी देवी की मूर्ति और बाईं ओर लक्ष्मी सहित सिद्धि विनायक की मूर्ति विराजमान है।तीर्थयात्रियों को दर्शन से पहले इस कुंड में करना होता स्नान
मंदिर परिसर के भीतर उपालय के नाम से जाने जाने वाले कई मंदिर कई देवताओं को समर्पित हैं। इनमें अनंत पद्मनाभ स्वामी, राम-सीता और लक्ष्मण, आंजनेय स्वामी की मूर्तियां हैं। इनमें से हर देवता का मंदिर के भीतर एक अलग मंदिर है। तीर्थयात्रियों को दर्शन से पहले धर्मगुंडम नाम के कुंड में स्नान करना होता है। माना जाता है कि इस कुंड के पवित्र पानी में नहाने से सारे पाप कट जाते हैं और सेहत भी दुरुस्त हो जाती है, क्योंकि इसके पानी में औषधीय गुण पाया जाता है। हर साल महाशिवरात्रि के समय श्रद्धालु शिव की पूजा करने के लिए वेमुलावाड़ा जाते हैं। इस मंदिर में भक्तों द्वारा ‘ कोडेमोक्कु’ नामक प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।दक्षिण की काशी कहा जाता है यह मंदिर
इस मंदिर क्षेत्र को दक्षिण की काशी भी कहा जाता है। इसे हरिहर क्षेत्र भी कहते हैं, क्योंकि यहां वैष्णव धर्म को मानने वाले लोगों के लिए परिसर में ही भगवान विष्णु के दो मंदिर हैं। अनंत पदमनाभ स्वामी मंदिर और सीताराम चंद्रस्वामी मंदिर। अनंत पदमनाभ स्वामी मंदिर को पूरे इलाके का पालक भी कहा जाता है। पीएम मोदी इस बार का लोकसभा चुनाव भी बनारस से ही लड़ रहे हैं।मंदिर के अंदर दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
राज राजेश्वर मंदिर की एक और बड़ी खासियत यह है कि यहां मंदिर परिसर में ही एक दरगाह है और यहां के हिंदू-मुसलमान सहिष्णुता के साथ अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान सूर्य काफी बीमार हो गए थे। उन्होंने इसी मंदिर में पूजा की, तब उनकी सेहत सुधर गई थी। तभी से इस क्षेत्र को भास्कर क्षेत्रम भी कहा जाता है।मोदी के दक्षिण मिशन के लिए खास है यह मंदिर
पीएम मोदी के दक्षिण मिशन के लिए यह मंदिर खास माना जाता है। कहा जा रहा है कि भाजपा को भले ही केरल और तमिलनाडु में बेहद मामूली कामयाबी मिले, मगर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भाजपा को ठीकठाक सीटें मिल सकती हैं। मोदी ने इसीलिए इस मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ यहां की चुनावी रैलियों की शुरुआत की है, जो वहां के मतदाताओं के लिए एक संदेश है।