अजमेर– राजस्थान की धर्म नगरी पारसोला के गौरव मुनि श्री 108सम्प्रतिष्ठ सागर जी का जन्म 18 अक्टुम्बर 1941 को वगेरिया मिठालाला जी सोहन देवी के आंगन हुआ था।
एक परिचय
यदि इनके गृहस्थ अवस्था के विषय में हम जाने तो ज्ञात होता है कि दोनो महान संत परम्पराओ के वरिष्ठ पट्टाचार्य युग श्रेष्ठ आचार्य शिरोमणि तपस्वी सम्राट 108श्री सन्मति सागर जी महाराज एवम वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री108 वर्धमान सागर जी ऋषिराज के संस्कारो का गहरा प्रभाव था।
इन्होंने वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री108 वर्धमान सागर जी यतिराज से ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार कर संयम की ओर बढ़ने का पुरुषार्थ प्रारम्भ किया उसके पश्चात महाराष्ट्र के कोल्हापुर मे महातपोमार्तण्ड आचार्य श्री 108सन्मति सागर जी यतिराज से सन 2010 मे 7 प्रतिमा के व्रत अंगीकार किये। निश्चित रूप से हम कह सकते हैं कि अहो अदभुद धन्य भाग्य जिन्हे ऐसे महा मनीषियों का वरद हस्त मिला।
दुबई में रहकर भी त्यागपूर्ण जीवन
उनके विषय में एक बहुत ही रोचक तथ्य सामने आता है इन्होंने दुबई में 27 वर्ष तक कपड़े का निर्दोष व्यापार किया। वहां भी इन्होंने धर्म नहीं छोड़ा और वहां पर भी उनका रात्रि भोजन का त्याग था तथा कंदमूल का पूर्ण रूप से त्याग था। निश्चित रूप से हम कह सकते हैं ऐसे देश में रहकर के भी जहां पर कोई त्याग और धर्म के बारे में नहीं समझता वहां पर भी उन्होंने अपने बचपन के त्याग के नियमो का दृढ़ता से पालन उसके
इतना ही नहीं तपस्वी सम्राट भगवंत की समाधि के उपरांत आप निरंतर उनके श्रेष्ठ लघुनंदन चतुर्थ पट्टाचार्य 108 श्री सुनील सागर जी गुरुदेव व वर्तमान मे विराजित चिर दीक्षित ज्येष्ठ गुरुभगवंतो मे से पूज्य आचार्य श्री वर्धमान सागर जी 108गुरुराज श्री संघ की सेवा वैयावृत्ती मे समर्पित रहे।
एवम वागड़ का सम्मेदाचल कहे जाने वाले अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ जी मे 15अक्टूबर सन 2021 को संयम भूषण आचार्य श्री 108 सुनीलसागर जी गुरुराज के अतिशय हस्तो से आपने मुनि दीक्षा ग्रहण की। इतना ही नही हाल ही मे आपने राजस्थान के अजमेर में सोनी जी की नसिया (स्वर्ण समवशरण जैन मंदिर) के लिए जग विख्यात अजमेर नगरी मे आपने दीक्षा गुरु पूज्य आचार्य श्री के चरणो मे समाधि संकल्प लेकर सल्लेखना की ओर अग्रसर हुए।
पूज्य आचार्य श्री के कुशल निर्यापकत्व व संघस्थ मुनियो की उत्तम सेवा से धर्म श्रवण,आत्म चिंतन,भेद विज्ञान व समता भाव पूर्वक समस्त संघ की उपस्थिति मे आज दिनांक 6 मई 2024 को 11 बजकर 35 मिनिट पर आपने मोक्ष लक्ष्मी को पाने साधक जीवन के अंतिम लक्ष्य श्रेष्ठ समाधि मरण प्राप्त किया।*मेवाड कांठल व वागड़ के गौरव श्री श्री सम्प्रतिष्ठ सागर जी गुरुदेव के चरणो मे बारम्बार नमन