- सांसद के चुनावी रण में दिग्गज नेता भी खेल चुके हैं पारी, रोचक रहा है मुकाबला
- जोगी रह चुके हैं महासमुंद के सांसद, डा. रमन राजनांदगांव, विष्णुदेव रायगढ़ से रहे चार बार
रायपुर- छत्तीसगढ़ में सांसद चुनाव का इतिहास रोचक रहा है। प्रदेश में अब तक चार शख्सियत को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। इनमें सभी सांसद के चुनावी रण में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी महासमुंद से सांसद रहे हैं। इसके साथ ही तीन बार लगातार मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी दो बार रायपुर और दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़े मगर उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई। इस चुनाव में भी भूपेश राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से चुनावी रण में हैं। वहीं प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय रायगढ़ लोकसभा से लगातार चार बार सांसद रहे हैं।
चार दिन के प्रचार में विद्याचरण को हराए थे जोगी
2004 के चुनाव में भी कांग्रेस ने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी को प्रत्याशी बनाया था। तब उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी विद्याचरण शुक्ल से था। शुक्ल की यह परंपरागत सीट थी। वह महासमुंद से सात बार सांसद रहे, लेकिन जोगी ने केवल चार दिन प्रचार में उन्हें शिकस्त दे दी थी। दरअसल 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी। जोगी मुख्यमंत्री थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। जोगी 2014 में भी महासमुंद सीट से ही चुनाव लड़े मगर भाजपा के चंदूलाल साहू से उन्हें हार मिली।
कांग्रेस के मोतीलाल बोरा को हराए थे रमन
छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रहे डा. रमन सिंह ने 1999 के लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद बने थे। भाजपा नेता रमन का उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व अविभाजित मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल बोरा को हराया था। डा. रमन सिंह जनसंघ के समय से भी भाजपा से ही पार्टी से जुड़े रहे। 1990 और 1993 में वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें अपनी सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया था।
रायपुर-दुर्ग लोकसभा से सांसदी चुनाव लड़ चुके हैं भूपेश
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2004 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्हें भाजपा के प्रत्याशी ताराचंद साहू से पराजय हाथ लगी थी। इसके बाद भूपेश 2009 में रायपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी रमेश बैस से चुनाव लड़े थे, उस समय भी उन्हें हार मिली थी। इस बार राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में भूपेश का मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी संतोष पांडेय के साथ है। विधानसभा चुनाव की बात करें तो भूपेश 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018, 2023 पाटन से विधान सभा चुनाव लड़े और केवल 2008 में चुनाव हारे।
पंच से सांसद और सीएम तक का सफर
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में ग्राम पंचायत बगिया के पंच के रूप में की थी। इसके बाद 1990 में निर्विरोध सरपंच चुने गए। 1990 में उन्होंने पहली बार जिले के तपकरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीतकर अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक बने। 1999 में उन्होंने पहला लोकसभा का चुनाव रायगढ़ से लड़ा और जीत दर्ज की। विष्णुदेव साय साल 2004 में फिर से दोबारा सांसद चुने गए। इसके बाद 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें इस्पात और खनन मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। वे कांग्रेस सरकार में भी विभिन्न समितियों के सदस्य रह चुके हैं।