इंदौर– चारित्र चक्रवती प्रथमाचार्य श्री 108 शांतिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण पट्ट परम्परा के तृतीय पट्टाचार्य धर्मशिरोमणी आचार्य श्री 108 धर्म सागर जी महाराज के 37 वे अंतरविलय वर्ष सन 1987 विक्रम संवत 2044 वैशाख कृष्ण नवमी 9 पर भावभीनी विनयांजली
जीवन परिचय
नाम: श्री चिरंजीलाल जी, श्री
कजोडीमल जी,
जन्म दिनांक पौष शुक्ला पूर्णिमा संवत 1970 12 जनवरी सन 1914 श्री धर्मनाथ भगवान का केवलज्ञान कल्याणक के दिन गंभीरा राजस्थान में हुआ। आप पिता श्री बख्तावरमल जी,श्रीमती उमराव देवीजी की बगिया के अनमोल मोती थे
व्रत – नियम
आपने क्षुल्लक दीक्षा चैत्र कृष्णा 7 संवत 2000 को 108 आचार्य कल्प श्री चंद्र सागर जी महाराज से बालूज, महाराष्ट्र में हुई। और आपका नाम क्षुल्लक श्री 105 भद्र सागर जी महाराज से रखा गया। आपकी ऐलक दीक्षा वैशाख माह संवत 2007 में आचार्य श्री 108 वीरसागर जी महाराज फुलेरा, राजस्थान में ग्रहण की।
मुनि दीक्षा
त्याग तप और संयम पथ की ओर बढ़ते हुए सर्वोत्कृष्ट पद आपकी मुनि दीक्षा कार्तिक शुक्ला चतुर्दशी संवत 2008 आचार्य श्री 108 वीरसागर जी महाराज द्वारा फुलेरा राजस्थान में हुई। और आपका नामकरण हुआ मुनि श्री 108 धर्म सागर जी महाराज
आचार्य पद
आपको फाल्गुन शुक्ल अष्टमी दिनाँक 24 फरवरी 1969 को तृतीय पट्टाधीश पद पर आचार्य श्री 108 धर्म सागर जी महाराज स्थान श्री महावीर जी, राजस्थान में सुशोभित किया गया उसी दिन नूतन आचार्य श्री के कर कमलों से मुनि श्री वर्धमान सागर जी सहित 11 दीक्षाएँ प्रदान की गई।
संयम दीक्षाये
आचार्य श्री के कर कमलों से 76 दीक्षाये हुई। जिनमे प्रमुख शिष्यों में वर्तमान में वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 श्री वर्धमान सागर महाराज जी सहित वर्तमान में 6 साधु विद्यमान है।
मुनि दीक्षा 33 ,आर्यिका दीक्षा 21 ,ऐलक दीक्षा1,क्षुल्लक दीक्षा17,क्षुल्लिका दीक्षा 05
कुल 76 दीक्षाए दी।
चातुर्मास 43
आपने क्षुल्लक अवस्था मुनि एवम् आचार्य रहते हुए अनेक सिद्ध एवम् अतिशय क्षेत्रो सहित अनेक नगरों में चातुर्मास किए हैं
समाधि
एक ऐसे महामना भव्य पुण्यात्मा जिनका जन्म भी तथा समाधि भी तीर्थंकर प्रभु के कल्याणक दिवस पर संयोग वश हुआ1008 श्री धर्म नाथ भगवान के केवलज्ञान कल्याणक दिवस होने से संयोग है कि दीक्षा के बाद नाम भी श्री धर्म सागर जी हुआ
वैशाख कृष्णा 9 नवमी विक्रम संवत 2044 सन 1987स्थान सीकर, राजस्थान में हुई।
श्री मुनि सुब्रत नाथ भगवान का केवलज्ञान कल्याणक एक ऐसे महामना भव्य पुण्यात्मा जिनका जन्म तथा समाधि भी तीर्थंकर प्रभु के कल्याणक दिवस पर हुआ है। तृतीय पट्टाचार्य आचार्य श्री 108 धर्म सागर जी महाराज के 37 समाधि अंतर्विलय वर्ष पर कोटिश नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु…