जयपुर– प. पू. भारत गौरव तपोमूर्ति श्रमणी गणिनी आर्यिका 105 गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी ससंघ का तीनों जैन नसियां जयपुर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। आर्यिका संघ नन्दपुरी से पद विहार करते हुए श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मंदिर खवास जी का रास्ता पहुँचा। वहाँ विराजमान आचार्य श्री 108 चैत्यसागर जी महाराज संसंघ से पावन वात्सल्य मिलन हुआ। तत्पश्चात् गाजे- बाजे के साथ जुलुस आगे बढ़ते हुए नसियां दीवान नन्दलाल जी झालरे वाली स्थित श्री पुष्पदंत जिनालय पहुंचा। भक्तगण अपने-अपने द्वार पर चौक पुरकर गुरुमाँ की आगवानी करने हेतु आतुर थे। सभी श्रावकों ने चरण प्रक्षालन करके हर्षोल्लास पूर्वक आरती सम्पन्न करायी। जिनालय के दर्शन, अभिषेक, शांतिधारा करने का सौभाग्य कमल दीवान, शांतिलाल जैन, कौशल जैन, अरिहंत जैन, अरुण दीवान ने प्राप्त किया।
प्रवचन सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को उद्बोधन देते हुए माताजी ने कहा कि- नसियां जैन समाज के लिए अनुपम धरोहर है। इन्हीं पुरातत्व की बदौलत जैन धर्म आज इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाता है। यह सकल जैन समाज का परम सौभाग्य है और कर्तव्य भी है कि पुरातत्व की रक्षा, सेवा और संवर्धन अनिवार्य है।
आगामी 17 अप्रैल 2024 को श्री पुष्पदन्त जिनालय * झालरे वाली नसियां में नसियां जी का वार्षिकोत्सव बड़े ही आनंद के साथ मनाया जावेगा। प्रातः 8.30 बजे विधान पूजा एवं 11.30 बजे कलशाभिषेक मंदिर जी के प्रांगण में ही सम्पन्न होंगे।