रायपुर- चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर होने वाले हवन की तैयारियां मंदिरों में जोरशोर से की जा रही है। 16 अप्रैल को दोपहर तक अष्टमी तिथि है और इसके पश्चात नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। ज्यादातर देवी मंदिरों में सुबह अष्टमी तिथि पर 10.30 बजे हवन शुरू होगा। अष्टमी तिथि के समापन और नवमी तिथि के प्रारंभ होने की बेला में दोपहर 1.25 बजे हवन में हजारों श्रद्धालु एक साथ पूर्णाहुति देंगे। हवन के पश्चात रात्रि में ही गुप्त रूप से महाजोत का प्रज्वलन करने की परंपरा निभाई जाएगी।
महामाया मंदिर में जोत का गुप्त विसर्जन
पुरानी बस्ती स्थित प्रसिद्ध महामाया मंदिर में महाजोत का विसर्जन आधी रात को गुप्त रूप से किया जाएगा। मंदिर की परंपरा के अनुसार जोत विसर्जन के दौरान मंदिर परिसर में किसी श्रद्धालु को रुकने नहीं दिया जाता। जब, यह निश्चित हो जाता है कि सभी श्रद्धालु मंदिर से बाहर चले गए हैं, तब मंदिर के पुजारी और मंदिर के बैगा महाजोत को मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन बावड़ी तक ले जाते हैं।
विसर्जन से पूर्व पुजारी और बैगा अपनी आंखों पर पट्टी बांधते हैं। विसर्जन करते समय जोत को देखा नहीं जाता। बावड़ी में जोत विसर्जित करने के पश्चात पीछे मुड़कर आंख से पट्टी खोलकर सभी बावड़ी से बाहर आते हैं। अगले दिन करीब 10 हजार श्रद्धालुओं की जोत की बाती और जंवारा को महादेवघाट ले जाकर विसर्जित किया जाता है।
अष्टमी पर मंदिरों में हवन
महामाया मंदिर – सुबह – 10.30 बजे से, पूर्णाहुति 1.30 बजे अंबा देवी मंदिर – सुबह 10 बजे से, पूर्णाहुति दोपहर 1.25 बजे दंतेश्वरी मंदिर – सुबह 10.30 बजे से, पूर्णाहुति दोपहर 1.30 बजे काली मंदिर – दोपहर 03 बजे से, पूर्णाहुति शाम 6 बजे
नवमी पर होगा कन्या पूजन भोजन प्रसादी का वितरण
नवमी तिथि पर बुधवार को देवी के समक्ष भोग अर्पित कर कन्याओं का पूजन करने की परंपरा निभाएंगे। कन्या पूजन के पश्चात कन्याओं को भोजन करवाकर उपहार प्रदान किया जाएगा। अष्टमी हवन के पश्चात अनेक गली मोहल्लों में महाभंडारा का आयोजन किया जाएगा। जो लोग नवमीं पूजन करते हैं, वे नवमीं पर कन्या पूजन करके कन्या भोज और महाभंडारा में प्रसादी वितरण करेंगे।