एम्स में दो दिवसीय कार्यशाला और सीएमई संपन्न, 40 विशेषज्ञों ने लिया भाग
रायपुर– देशभर के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेब्लिटेशन (पीएमआर) विशेषज्ञों ने ऑस्टियो आर्थराइटिस, रुमेटाइड आर्थराइटिस, स्पाइनल कॉर्ड, ऑटिज्म आदि के रोगियों को राहत देने के लिए नई तकनीक का सहारा लेने का आह्वान किया है। विशेषज्ञों का कहना था कि बढ़ती जनसंख्या के कारण वर्ष 2050 तक भारत में ऐसे रोगियों की संख्या सर्वाधिक होगी ऐसे में पीएमआर विशेषज्ञों को अत्याधुनिक तकनीक की मदद से रोगियों का पुनर्वास करना होगा। ये विशेषज्ञ एम्स के पीएमआर विभाग और इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीएमआर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला और सीएमई में भाग ले रहे थे।
सीएमई का उद्घाटन करते हुए कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा) ने कहा कि पीएमआर की सबसे पहले आवश्यकता सेना को हुई थी। अभी भी भारतीय सेना इंजीनियर्स की मदद से विकलांग हुए सैनिकों के पुनर्वास में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि एम्स का पीएमआर विभाग गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम अंगों को प्रदान कर रहा है। रोगियों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. रेनू राजगुरु ने कहा कि कार्यशाला की मदद से पीजी छात्रों को पीएमआर में प्रयुक्त की जा रही नई तकनीक के बारे में जानकारी मिल सकेगी। एम्स पटना के पीएमआर विभागाध्यक्ष और आईएपीएमआर के महासचिव प्रो. संजय कुमार पांडे का कहना था कि वर्ष 2050 तक भारत में पीएमआर के रोगियों की संख्या सर्वाधिक होगी। इसमें रीढ़ की हड्डी और खेलों में घायल रोगियों की संख्या सबसे अधिक होने की संभावना है। अतः पीएमआर विशेषज्ञों को नई तकनीक की मदद से रोगियों का पुनर्वास करना होगा।
आयोजन सचिव डॉ. जयदीप नंदी ने बताया कि कार्यशाला और सीएमई में पीएमआर संबंधी सात प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई जिसमें नई तकनीक जैसे थ्री-डी प्रिटिंग, रोबोटिक्स, री-जनरेटिव मेडिसिन का प्रयोग, पल्मोनरी और कॉर्डियक रिहेब्लिटेशन, प्लाज्मा थैरेपी, एक्सटर्नल स्टीम्यूलेशन से दर्द में राहत जैसे विषय शामिल हैं। कार्यशाला में गेट एवं मोशन लैब की मदद से लाइव सेशन में रोगियों की जांच की गई। लकवा या दुर्घटना में घायल रोगियों की तंत्रिका तंत्र को समझन के लिए मोशन सेंसर्स की मदद से उनकी जांच भी की गई। कार्यशाला में देशभर के 40 विशेषज्ञों ने भाग लिया।
सीएमई में अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल भी उपस्थित थे। सीएमई और कार्यशाला में एम्स पटना, एम्स कल्याणी, राम मनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली, सवाई मान सिंह अस्पताल जयपुर, ईएसआईसी फरीदाबाद, गाँधी हॉस्पिटल पटना के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।