- शिवाजी महाराज ने समाज को दिया था स्त्री सम्मान का संदेश
- महाराष्ट्र मंडल में छत्रपति शिवाजी की महाआरती में बड़ी संख्या में जुटे लोग
रायपुर– छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी माता को सती न होने से मनाकर समाज को स्त्री सम्मान का संदेश दिया था। इससे पहले भी शिवाजी महाराज जब मुगल शासक से युद्ध जीत कर लौटे तो उनके सैनिकों ने पराजित शासक की बेगम को उनके सामने बंदी बनाकर प्रस्तुत किया। उस समय भी शिवाजी ने न केवल अपने सैनिकों को इस नीच हरकत के लिए चेतावनी भरी फटकार लगाई, बल्कि बंदी बनाकर लाई गई बेगम से उन्होंने क्षमा भी मांगी। उसे उन्होंने अपनी मां का दर्जा देकर सुरक्षा प्रदान की।छत्रपति शिवाजी की नजर में कोई भी परस्त्री उनकी मां होती थी। महाराष्ट्र मंडल में मंगलवार की शाम को छत्रपति शिवाजी महाराज की महाआरती के बाद इस आशय के विचार महाराष्ट्र नाट्य मंडल के सचिव प्रसन्न निमोणकर ने व्यक्त किए।
निमोणकर ने आज अपने उद्बोधन के दौरान शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल, नेतृत्व कौशल, रणनीति कला में हथियारों को चलाने में पारंगत जैसे विभिन्न विषयों को छुआ तक नहीं क्योंकि यह तो सर्वविदित है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज में व्यक्तित्व पहचानने की अद्भुत क्षमता थी। वे लोकप्रिय शासक थे, बल्कि अपनी प्रजा की कृषि उपज की सुरक्षा को भी उन्होंने सर्वोपरि माना और सभी किसानों को उनकी खेतीहर भूमि का स्वामित्व प्रदान किया। उन्होंने हिंदू धर्म में समुद्री यात्रा के वर्जित होने की अवधारणा से समाज को न केवल मुक्ति दिलाई, बल्कि भारत देश की पहली नौसेना का गठन भी किया।
प्रसन्न निमोणकर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने अमावस्या को अशुभ माने जाने वाली सोच को गलत सिद्ध कर दिया। उन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ सभी हमले अमावस्या की काली अंधेरी रात को किया और हर बार जीत कर लौटे। शिवाजी महाराज अत्यंत कुशल अभियंता थे। जिन्होंने 300 से अधिक किले बनवाए, जो दुर्लभ पहाड़ियों पर आज भी मौजूद हैं। गौर करने की बात यह है कि शिवाजी महाराज ने ये किले उस समय बनवाए गए जब किसी भी प्रकार का निर्माण संयंत्र उपलब्ध नहीं था।
इससे पहले महाराष्ट्र मंडल में छत्रपति शिवाजी महाराज की महाआरती की गई। इस मौके पर अध्यक्ष अजय काले, महाराष्ट्र नाट्य मंडल के निर्देशक अनिल श्रीराम कालेले और वरिष्ठ आजीवन सभासद विजय निमोणकर ने शिवाजी महाराज की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और गुलाल का टीका लगाया।
महाआरती में संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्रभारी निरंजन पंडित, वरिष्ठ आजीवन सभासद दिलीप लांबे, अतुल गद्रे, युवा समिति के प्रमुख विनोद राखुंडे, शचिंद्र देशमुख, सुचिता देशमुख, रितेश बाबर, रीना बाबर, सचेतक रविंद्र ठेंगड़ी सहित कार्यकारिणी सदस्य, विभिन्न समितियों के पदाधिकारी और अनेक आजीवन सभासद उपस्थित रहे।