मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना और नंदगांव के शहर प्रसिद्ध होली अनुष्ठानों के लिए जाने जाते हैं. बरसाने की लठमार होली के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे. यह पूरी दुनिया में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. फुलेरा दूज के दिन से ही मथुरा-वृंदावन सहित पूरे ब्रज में होली शुरू हो जाती है. फुलेरा दूज का महत्व होली की तरह ही है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने फूलों की होली मनाई थी.
इसके अलावा इस दिन को और भी विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन बहुत से शुभ कार्य किए जाते हैं. शादी, नामकरण, नया व्यापार आदि मंगल कार्य इसलिए दिन से शुरू किए जाते हैं. फुलेरा दूज का दिन अबूझ मुहूर्त का माना जाता है. इसका अर्थ यह है कि इस दिन पंचांग में कोई मुहूर्त देखे ही मंगल कार्य किए जाते हैं क्योंकि यह पूरी तिथि ही बहुत शुभ मानी जाती है
इस दिन लोग एक दूसरे को फूल लगाते हैं और आशा करते हैं कि होली के जीवंत रंग सभी के जीवन में खुशियां लाएंगे. इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है. उत्तर भारत में ज्यादातर शादियाँ ऐसे ही खास दिन पर शुरू होती हैं. ब्रज से जुड़ी एक मजेदार बात यह भी है कि यहां होली का त्यौहार पूरे 40 दिनों तक मनाया जाता है. यहां हर दिन मंदिरों में विभिन्न तरह के उत्सव मनाए जाते हैं. लेकिन, होली के 7 दिनों के दौरान असली जोश और उमंग देखने को मिलता है.
मथुरा वृंदावन में होली का यह है शेड्यूल
मथुरा-वृंदावन में इस बार होली कि शुरुआत 17 मार्च से होने वाली है. इस दिन बरसाना के राधा रानी मंदिर में फाग आमंत्रण महोत्सव और लड्डू होली का आयोजन किया जाएगा.
इसके बाद 18 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाएगा.
19 मार्च को नंदगांव में लट्ठमार होली का आयोजन होगा.
20 मार्च को कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में होली का आयोजन किया जाएगा.
21 मार्च को गोकुल में छड़ी मार होली खेली जाएगी.
23 मार्च को वृंदावन के राधा गोपीनाथ मंदिर में विधवा महिलाएं होली खेलेंगी.
24 मार्च को होलिका दहन और बांके बिहारी मंदिर में फूलों कि होली खेली जाएगी.
25 मार्च को मथुरा-वृंदावन में रंग वाली होली खेली जाएगी.
26 मार्च को बलदेव के दाऊजी मंदिर पर हुरंगा होली का आयोजन किया जाएगा.