Home धर्म साल की 24 एकादशी में से सबसे खास हैं ये 4 एकादशी

साल की 24 एकादशी में से सबसे खास हैं ये 4 एकादशी

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  • भगवान विष्णु को समर्पित होती है एकादशी तिथि।
  • एक साल कुल 24 एकादशी होती हैं।
  • एकदाशी व्रत करने से मिलती है सुख-समृद्धि।

सनातन धर्म में भगवान विष्णु जी को समर्पित एकादशी तिथि विशेष महत्व रखती है। एक माह में दो बार एकादशी आती है, एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं। लेकिन 24 एकादशियों में से कुछ एकादशी ऐसी हैं, जिन्हें सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं हिंदू धर्म में किन एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है और क्यों?

निर्जला एकादशी

हिंदू शास्त्रों में निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व माना गया है। माना जाता है कि इस एक व्रत से ही पूरे साल की एकादशी का फल प्राप्त किया जा सकता है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में किया जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

आमलकी एकादशी

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ विशेष तौर से आंवले के पौधे का पूजन किया जाता है, इसलिए इसे आंवला एकादशी भी कहते हैं। साथ ही इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस आमलकी एकादशी का व्रत करने से साधक को 100 गाय दान करने के बराबर का पुण्य मिलता है। यही कारण है कि इस एकादशी को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी

पापमोचनी एकादशी, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। 24 एकादशी में से इस एकादशी का विशेष महत्व है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, इस एकादशी का व्रत करने से साधक के सभी पाप दूर हो सकते हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की आराधना करने से जाने-अनजाने में की गई गलतियों से मुक्ति मिल जाती है और साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

देवउठनी एकादशी

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और 04 महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 04 महीनों के बाद इस तिथि पर पुनः शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। देवउठनी या देव जागरण एकादशी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है।