मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज
कोटा– संसार असार हैं मानव जीवन दुर्लभ चिंता मणी रत्न के समान अनमोल है जीवन में हर पल का सदुपयोग करें सदैव सकारात्मक रहे। गतिशील रहे। अभी दुखमा काल चल रहा है जिसने दुख में से सुख निकाल ने की कला है वास्तव में वो हो सुखी है। जिस तरह से दूध में घी तिल्ली में तेल मां खोज लेती है ठीक उसी प्रकार दुख में से भी सुख निकाल सकते है। शरीर टेड़ा मेड़ा हो तो भी मोक्ष मिल जायेगा परन्तु मानसिकता सही नही होगी तो मोक्ष कदापि नही मिलेगा। जीवन में धार्मिक अनुष्ठान करते रहना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान करते समय यदि कोई बुरा कर्म बड़े रूप में फल देने आता होगा तो वो छोटे रूप में ही आएगा। यह बहुत बड़ा धर्म का प्रभाव होता है। उक्त उद्गगार मुनि आदित्य सागर जी महाराज ने आर के पुरम जैन मंदिर में विशाल धर्म सभा को। संबोधित करते हुवे व्यक्त किए।मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन महामंत्री अनुज जैन कोषाध्यक्ष ज्ञान चंद जैन ने बताया कि धर्म सभा में मंगल दीप प्रज्वलन पाद प्रक्षालन शास्त्र भेट की क्रियाए भी की गई। मंदिर जी में रोज सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर मंगल प्रवचन होगे। मंदिर समिति के प्रचार प्रसार मंत्री पारस जैन पार्श्वमणि ने बताया कि इस अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता महा मंत्री विनोद जैन टोरडी कार्याध्यक्ष जे के जैन सहित बडी संख्या में श्रृद्धालूगण उपस्थित थे। मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि दिनांक 7 मार्च को अभिषेक शांतिधारा
प्रातः 07:00 बजे
मुनिसुव्रत नाथ भगवान की भक्ति मय पूजन व निर्माण लाडू चढ़ाया जायेगा।
प्रातः 08:00 बजे
विशुद्ध ज्ञान ग्रीष्मकालीन वाचना की कलश स्थापना की बोली होगी।
प्रातः- 08:30 बजे
प्रवचन
प्रातः 09:00 से 10:00 बजे
आहारचर्या–10.00 बजे
स्वाध्याय– दोपहर- 03:00 बजे
श्रुत समाधान–सायं 6.00 बजे
गुरु भक्ति सांय- 06:30 बजे
भक्तामर–सायं 07:30 बजे
वेव्य्यावृति–साय 08:30 बजे होगी।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि कोटा