भारत की जीडीपी जिस रफ्तार के साथ भाग रही है, उसका कायल दुनिया का हर वो विकसित देश हो चला है, जो मौजूदा समय में मंदी की चपेट में है या फिर मंदी की चपेट में आने वाला है. कुछ देश ऐसे भी हैं, जिनके मंदी के चपेट में आने की संभावना नहीं है, लेकिन इकोनॉमी का पहिया उनती तेजी के साथ नहीं भाग रहा. हर कोई इस बात से वाकिफ है कि यूरोप के सबसे बड़े देशों में शुमार जमर्नी की इकोनॉमी मंदी की गिरफ्त में आ चुकी है. दुनिया की सबसे बड़ी सुपर पॉवर अमेरिका के इकोनॉमिक आंकड़ें उतने बेहतर नहीं है. भले ही मंदी से दूर हो. लेकिन दोनों ही देश भारत की इकोनॉमी की रफ्तार के कायल हो चुके हैं.
तीसरी तिमाही के आंकड़ों को देखकर कोई इस बात का यकीन तक नहीं कर पा रहा है कि भारत की रफ्तार 8 फीसदी से ज्यादा हो गई है. इसी वजह से अमेरिकी इकोनॉमिक एजेंसियों ने भारत की पूरे सालभर के ग्रोथ के अनुमान को बढ़ा दिया है. कुछ दिन पहले जमर्नी के सबसे बड़ें बैंकों में शुमार डॉयचे ने भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान में इजाफा किया था. इस बार अमेरिका के मूडीज बढ़ोतरी की है. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर मूडीज ने कितना अनुमान बढ़ा दिया है?
मूडीज ने बढ़ाया अनुमान
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने सोमवार को वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.1 फीसदी से बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. दिसंबर तिमाही की भारत की जीडीपी दुनियाभर के तमाम अनुमानों से ज्यादा देखने को मिली है. रॉयटर्स ने दो सरकारी अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि इसका कारण सब्सिडी में भारी गिरावट की वजह से जीडीपी को बढ़ावा मिला। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान भारत की इकोनॉमी की रफ्तार 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो डेढ़ साल में सबसे तेज है. जबकि रॉयटर्स के सर्वे में रफ्तार का अनुमान 6.6 फीसदी लगाया गया था.
2025 में कितनी रहेगी तेजी
मूडीज ने अपने वैश्विक वृहद आर्थिक परिदृश्य-2024 में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और 2023 में उम्मीद से अधिक मजबूत आंकड़ों के कारण हमने 2024 के लिए अपना वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा. मूडीज ने कहा कि 2025 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उच्च-आवृत्ति के संकेतकों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की सितंबर और दिसंबर तिमाही की मजबूत रफ्तार 2024 की मार्च तिमाही में जारी है.
क्यों बढ़ी रफ्तार
मूडीज ने कहा कि मजबूत जीएसटी कलेक्शन, बढ़ती वाहन बिक्री, उपभोक्ता भरोसा और दो अंक की लोन ग्रोथ से पता चलता है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है. सप्लाई साइड की बात करें, तो मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस पीएमआई का विस्तार ठोस आर्थिक रफ्तार का प्रमाण है. इस साल के अंतरिम बजट में कैपेक्स के लिए आवंटन 11.1 लाख करोड़ रुपए या 2024-25 के जीडीपी के 3.4 फीसदी के बराबर रखा गया है. यह 2023-24 के अनुमान से 16.9 फीसदी अधिक है. मूडीज ने कहा कि हम आम चुनाव के बाद नीतिगत मोर्चे पर निरंतरता की उम्मीद कर रहे हैं. इसके अलावा हमारा मानना है कि बेसिक इंफ्रा को आगे बढ़ाने का काम जारी रहेगा.
जी20 देशों में है चुनाव
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि निजी औद्योगिक पूंजीगत व्यय की वृद्धि धीमी रही है, लेकिन सप्लाई चेन विविधीकरण के लाभ और सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं पर निवेशकों की प्रतिक्रिया से इसमें तेजी आने की उम्मीद है. वर्ष 2024 भारत, इंडोनेशिया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई जी20 देशों के लिए चुनावी साल है. मूडीज ने कहा कि चुनाव का असर सीमा से आगे दिखाई देता है. मूडीज ने कहा कि इन चुनावों में जो नेता चुने जाएंगे, अगले चार से पांच साल के दौरान घरेलू और विदेशी नीतियों पर उनका प्रभाव देखने को मिलेगा.
जीवीए में सब्सिडी शामिल नहीं
हालांकि जीवीए में इनडायरेक्ट टैक्स और सब्सिडी शामिल नहीं है में 6.5 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है, जिसकी वजह से इकोनॉमिस्ट को यह कहने पर मजबूर होना पड़ा कि जीडीपी डाटा ने ग्रोथ के रुझान को बढ़ा-चढ़ाकर बताया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीवीए और जीडीपी के बीच व्यापक अंतर मुख्य रूप से उस तिमाही में सब्सिडी में तेज गिरावट के कारण था, जिसका मुख्य कारण यूरिया जैसे खाद सब्सिडी पर कम भुगतान था।
साल में 7.6 फीसदी ग्रोथ रहने का अनुमान
रॉयटर्स ने सिटी इकोनॉमिस्ट समीरन चक्रवर्ती के हवाले से कहा कि जीवीए के साथ बड़े अंतर, एग्री एक्टीविटी में गिरावट और 2—पेस्ड इकोनॉमिक ग्रोथ (निवेश खपत से कहीं अधिक) को देखते हुए 8 फीसदी से ज्यादा की रियल जीडीपी को सावधानी के साथ पढ़ा जाना चाहिए। 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि निवेश में इजाफा होने की वजह से ग्रोथ में तेजी देखने को मिली है. तीसरी तिमाही में यही निवेश 10.6 फीसदी की दर से बढ़ा है.
जर्मन बैंक ने लगाया था अनुमान
कुछ दिन पहले जर्मनी की ब्रोकरेज कंपनी डॉयचे बैंक ने दिसंबर तिमाही के लिए जो अनुमान लगाया था, वो 7 फीसदी से ज्यादा का था. जबकि भारत की जीडीपी 8 फीसदी से ज्यादा की देखने को मिली है. वहीं उन्होंने पूरे वित्त वर्ष के लिए जो अनुमान लगाया है वो 7 फीसदी का लगाया है. जानकारों की मानें तो डॉयचे का यह अनुमान भी पीछे छूट जाएगा. मुमकिन है कि डॉयचे आने वाले दिनों में अपने भारत के अनुमान में फिर से बदलाव करते हुए बढ़ा दे. अब सभी की नजरें आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक पर है. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों भारत के अनुमान में इजाफा कर सकते हैं.