Home स्वास्थ योग में शोध को और अधिक प्रोत्साहित करने पर जोर

योग में शोध को और अधिक प्रोत्साहित करने पर जोर

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एम्स में एक दिवसीय कार्यशाला में एलोपैथी के साथ योग के महत्व को रेखांकित किया

रायपुर–  योग पर और अधिक शोध और इसे एलोपैथी के साथ जोड़कर अनुसंधान की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने योग को भारतीय जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए इसके लाभ को शोध के माध्यम से प्रमाणित करने का आह्वान किया।

एम्स के आयुष विभाग और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योग एंड नेचुरोपैथी, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘मिक्सड मैथ्ड्स रिसर्च इन योगा’ विषयक कार्यशाला का उद्घाटन कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (रिटा.) ने किया। उन्होंने कहा कि योग जीवनशैली के विभिन्न रोगों उच्च रक्तचाप, तनाव, अनिंद्रा आदि के उपचार और इनसे बचने में काफी हितकारी है। संयुक्त चिकित्सा पद्धती में योग और नेचुरोपैथी को एलोपैथी के साथ पूरक उपचार के रूप में प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रमाणिक शोध और अनुसंधान की आवश्यकता बताई।

मुख्य अतिथि सीसीआरवाईएन के निदेशक डॉ. राघवेंद्र राव ने योग के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता डॉ. अमोल डोंगरे, एम्स, नागपुर और डॉ. विकास केसरी, कार्यकारी निदेशक, राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र, छत्तीसगढ़ शासन ने भी योग में शोध के बढ़ते महत्व के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान की। राष्ट्रीय कार्यशाला में 300 से अधिक शोधार्थी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल और आयुष के चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे।