शेरगढ़ – चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी के बडे बाबा देवाधिदेव 1008 श्री आदिनाथ भगवान के प्राकट्य स्थल पाडाखोह व शेरगढ स्थित जैन मन्दिरों का जी र्णोद्धार होने लगा है। चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी के अध्यक्ष श्री हुकम जैन काका ने बताया कि चांदखेड़ी क्षेत्र से महज 18 किलोमीटर की दुरी पर पुरानी रियासत शेरगढ जहां पर जगह जगह प्राचीन जैन मन्दिरों के अवशेष बिखरे पडे है व चांदखेड़ी मुलनायक 1008 श्री आदिनाथ भगवान का उदगम स्थल है एवं लगभग तीन से चार प्राचीन जैन मन्दिर है ।
यहां से समाज का पलायन होने के कारण कई सौ वर्षों से यह स्थान वीरान व जीर्णशीर्ण हो गये है।
क्षेत्र के महामंत्री श्री नरेश जैन (वेद) ने बताया हमने पुरी कार्यकारिणी के साथ पूरे क्षेत्र का अवलोकन किया ग्रामीणों से बात करके जीर्णोद्धार का कार्य शुरु किया है ताकि वहां पर क्षेत्र पर आने वाले यात्रीयों को दर्शन का लाभ प्राप्त हो जाये।
क्षेत्र के कोषाध्यक्ष श्री गोपाल जैन एडवोकेट व सहकोषाध्यक्ष श्री कैलाश जैन ने बताया कि चांदखेड़ी महातीर्थ का इतिहास चमत्कारिक घटना के साथ शेरगढ (पाडाखोह) से जुडा हुआ है।
जनश्रुति के अनुसार कोटा रियासत के तत्कालीन दीवान श्री किसनदास जैन (मडिया) को दैवीय शक्ति ने स्वप्न मे आकर कहा कि ,शेरगढ बारापाटी (पाडाखोह) में स्थित लाल पाषाण की जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर 1008 श्री आदिनाथ भगवान की अतिशयकारी,मनमोहक, सोम्य प्रतिमा को अन्यत्र ले जाकर विराजमान करो एवं जिस गाडी मे लेकर जाओ प्रातःकाल से पूर्व गाडी को पीछे मुडकर नहीं देखना है ।
स्वप्न के अनुसार श्री किसनदास जैन मडिया ने इस प्रतिमा को बेलगाडी मे विराजमान करके अपने गांव सांगोद ले जाना चाहा लेकिन गाडी प्रातःकाल होते ही खानपुर स्थित रुपली नदी के किनारे आकर रुक गई ओर अथक प्रयास करने पर वहां से आगे नहीं चली इस घटना का समाचार खानपुर ग्राम के चारों ओर फैल गया हजारों श्रद्धालु दर्शनार्थ आने लगे ओर 6-1/4 फिट अवगाहन वाली प्रतिमा, सवंत 512 अंकित महामनोज्ञ,सोम्य,अतिशयकारी प्रतिमा को पाकर धन्य हो गये।
यह निश्चय किया गया कि इसी स्थान पर भव्य मन्दिर निर्माण करवाकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को विराजमान किया जाये।
मंन्दिर निर्माण का कार्य संवत 1730 वैशाख कृष्ण अष्टमी शनिवार को शुभ बैला मे प्रारम्भ हुआ ओर तलघर(भौंरा) बनते ही संवत 1736 माघ शुक्ल पंचमी सोमवार को विधी-पुर्वक इस शेरगढ बारापाटी स्थित पाडाखोह स्थान से प्राप्त भव्य चमत्कारिक प्रतिमा को विराजमान किया गया।
प्रचार-प्रसार संयोजक प्रशान्त जैन ने बताया कि यह जीर्णोद्धार कार्य शुरु होने से हाडौती ही नहीं अपितु देशभर के जैन समाज मे हर्ष की लहर है एवं सभी इस बात के इच्छुक हें कि जल्द से जल्द हम इस प्राचीन जैन रियासत के दर्शन कर पायें। एवम जल्द ही प्रबंध कार्यकारिणी पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव 108श्री सुधासागर जी महाराज के पास निवेदन करने जायेगी ताकि इस क्षेत्र को तीर्थ का रुप दिया जा सके।