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पुरातत्व रक्षिका विज्ञाश्री माताजी ने उठाया एक नया परोपकारी कदम

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गुंसी – भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि – जैन पुरातत्व की सुरक्षा एवं संवर्धन होना अत्यंत आवश्यक है । संस्कृति तथा संस्कारों को भविष्य तक की पीढ़ियों में जीवित रखना हो तो आज से ही उसका अन्वेषण , संकलन , सुरक्षा एवं संवर्धन का प्रबंध करना होगा । जैन संस्कृति मूलतः आत्म उत्कर्ष वाद से सम्बंध रखती है । इसी से संस्कारों का बीजारोपण होता है ।
आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने जैन पुरातत्व की सुरक्षा हेतु एक नया कदम उठाया । अखिल भारत वर्ष में जिन प्राचीन मन्दिरों की सेवा –  सुश्रुषा नहीं होती उन्हें सहस्रकूट विज्ञातीर्थ क्षेत्र के प्राचीन जिनबिम्ब केन्द्र में स्थापित किया जा सकता है । परोपकार की भावना से परिपूर्ण पूज्य माताजी की यह योजना जैन इतिहास की सुरक्षा के लिए अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है । इसी भावना को देखकर सवाईमाधोपुर की जैन समाज ने माताजी को पुरातत्व रक्षिका की उपाधि से अलंकृत कर स्वयं को गौरवान्वित  किया ।