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पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजित सागर जी की प्रतिमा संघ सहित विराजित की

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साबला – आचार्य शिरोमणी श्री वर्धमान सागर जी ने साबला श्री अजित कीर्ति गिरी में आयोजित धर्म सभा में उपदेश में बताया कि कर्नाटक , महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान में प्रवेश किया श्री महावीर स्वामी के महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम , पंच  कल्याणक का क्रम , किशनगढ़ उदयपुर होते हुए बागड़ प्रांत में प्रवेश किया राजस्थान ही नहीं संघ ने देश के अनेक नगरों से बिहार किया दुखद स्थिति है कि तीर्थंकर कुल की जैन समाज अपने धर्म और संस्कृति को भूल रही है ,समाज  संस्कृति, धर्म परंपरा और धर्म के कार्य को कैसे करना चाहिए ,भूल रही है । समाज के  तीर्थ मंदिरों क्षेत्र का  भार दायित्व जिन्हे दिया  है वह संस्था  हो या तीर्थ क्षेत्र  संरक्षण समिति हो समाज  ट्रस्टीयो की स्थापना करती हे इसका अर्थ समझना जरुरी है ट्रस्ट का मतलब विश्वास और  ट्रस्टी मतलब विश्वसनीय होता हे समाज विश्वास कर लोगों को मंदिर और क्षेत्र का  ट्रस्टी बनाता है । यह मंगल देशना पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने श्री अजित कीर्ति गिरी पर आयोजित धर्म सभा में प्रगट की। आचार्य श्री ने आगे बताया कि प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी ने जैन धर्म , जैन मंदिरों की संस्कृति की रक्षा के लिए 1105 दिन केवल दूध और पानी लिया । अनाज आहार का त्याग किया उनकी समाधि स्थली , निर्वाण भूमि कुंथल गिरी क्षेत्र का उदाहरण देते बताया कि श्री कुलभूषण जी ,श्री देश भूषण जी के मूल नायक मंदिर का स्वरुप कुछ साधुओं के कहने से बदलने का ट्रस्टीयो ने प्रयास किया । हमारे कहने से आदेश से ,अन्य साधुओं के विरोध से अब निर्माण कार्य निरस्त  किया। पर यह  कार्य गलत है , विश्वासधात हैं इससे समाज কা विश्वास खत्म होता है देश के सभी  ट्रस्टीयो को साबला नगर के श्री बसंती लाल सराफ से प्रेरणा लेना चाहिए कि उन्होंने आचार्य श्री अजीत सागर जी के शिष्य श्री चिन्मय सागर जी की प्रेरणा से साबला नगर में श्री अजीत कीर्ति गिरी ट्रस्ट की स्थापना कर तन मन धन से इस  स्मारक को क्षेत्र बना दिया । आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने वर्तमान में सामाजिक बुराइयों कुरीतियों का जिक्र करके बताया कि समाज में तलाक प्रथा ग़लत है यह समाज के हितकारी नहीं है । विदेशी संस्कृति समाज के लिए दुखदाई है आपने समाज में खान-पान और वेशभूषा की विकृति पर भी चिंता व्यक्त कर बताया कि समाज को देव शास्त्र गुरुओं  के समय मर्यादित वेशभूषा में तीर्थंकर देव के बताए हुए मार्ग का अनुसरण कर सभी बुराइयों को, कुरीतियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए । क्योंकि मंगल मय कार्य से पाप का नाश होता है और पुण्य का अर्जन होता है हमारा तो सभी ट्रस्टीयो से यही कहना है कि बसंती लाल जी को आदर्श बनाकर अपने कर्तव्य को नहीं भूले । तीर्थ और धर्मायतन की सेवा करें और समाज का विश्वास बनाकर रखें । ट्रस्टी कार्यकर्ता होते हैं ट्रस्ट के मालिक नहीं होते  ट्रस्टी का कार्य होता है क्षेत्र को उन्नत बनाने का । आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी का आचार्य पद का शताब्दी महोत्सव तन मन धन से मनाने की प्रेरणा दी । इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी मुनि श्री चिन्मय सागर जी श्री मुनि श्री हितेंद्र सागर जी मुनि श्री प्रशम सागर जी मुनि श्री प्रभव सागर जी मुनि श्री चिंतन सागर जी मुनि श्री मुक्ति सागर जी मुनि श्री प्रबुद्ध सागर जी मुनि श्री मुमुक्षु सागर जी आर्यिका श्री शुभमति जी आ श्री शीतल मती जीआ श्री चैत्य मती जी आ श्री वत्सल मति जी आ श्री विलोक मति जी आ श्री दिव्यांशु मति जी आ श्री पूर्णिमा मति जीआ श्री मुदित मति जीआ श्री विचक्षण मति जी आ श्री समर्पित मति जी आ श्री निर्मुक्त मति जी आ श्री विनम्र मति जी आ श्री दर्शना मति जीआ श्री देशना मति जीआ श्री महायश मति जी आ  श्री देवर्धि मति जी आ श्री प्रणत मति जीआ  श्री निर्मोह मति जी आ श्रीपद्मयश मति जी  आ श्री दिव्ययश मति जी  आर्यिका श्री योगी मति जी क्षुल्लक श्री विशाल सागर जी  क्षुल्लक श्री महोदय सागर जी आचार्य श्री 8 मुनिराज,21 माताजी तथा 2 क्षुल्लक जी कुल 32 साधुओ तथा मुनि श्री आज्ञा सागर जी संघ सानिध्य में
साबला में श्री दिगंबर जैन अजित कीर्ति गिरी पर आचार्य श्री अजित सागर जी महाराज बिम्ब प्रतिष्ठा एवम् भव्य स्मारक प्रतिष्ठा मंगल महोत्सव 6 दिसंबर से 8 दिसंबर तक संहिता सूरी पंडित हँसमुख जी ,पंडित भागचंद जी, विनोद जी शास्त्री के मार्गदर्शन सहयोग से संपन्न हुआ ।
अजीत कीर्ति गिरी कार्यकारिणी साबला के बसंती लाल जैन जयंतीलाल पारीक अजीत कुमार भूत राजकुमार पचौरी नितिन कुमार मुंगेरिया तथा सकल दिगंबर जैन समाज सावला के पदाधिकारी ने  बताया कि 8 दिसंबर को प्रात श्री जी के पंचामृत अभिषेक ,नित्य नियम पूजन के बाद चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री अजीत सागर जी की पूजन हुई । विश्व शांति के लिए महायज्ञ पूर्ण आहुति दी गई। आचार्य श्री के प्रवचन के पश्चात रथ प्रवर्तन हुआ जिसमें श्री जी को विराजित किया गया । बहादुर मल प्रचार संयोजक अनुसार श्री अजीत कीर्ति गिरी पर आचार्य श्री अजीत सागर जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित होने के बाद पुण्यार्जक ईश्वर लाल जोदावत परिवार द्वारा आचार्य श्री अजीत सागर जी की प्रतिमा  विराजमान कर  गुरु  मंदिर  पर पुण्यार्जक परिवारों द्वारा कलशारोहण का कार्यक्रम किया गया। साबला एवम् बागड़ क्षेत्र के युवक युवतियों ने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में संकल्प लिया कि हम माता पिता की अनुमति से केवल जैन समाज में ही विवाह करेंगे ।बाल ब्रह्मचारिणी वीणा दीदी एवम् पुण्यशाली परिवारों द्वारा पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया । पुण्यार्जक परिवारों द्वारा आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेट की ।