सागर – दूध को तपाने से मलाई बनती है और फिर घी निकलता है स्वर्ण को तपने से ही उसमें उज्जवलता आती है । तन को तपाने से नहीं मन को तपाने से हमारा जीवन सुधर जाएगा यह बात मुनि श्री अजित सागर महाराज ने पंच वाल्यती मंदिर में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के तीसरे दिन कहीं ।
उन्होंने कहा कि मनुष्य शरीर मिला है तो तप करो इससे कर्मों का नाश होगा दिव्य प्रकाश मनुष्य के अंदर है इसे उद्घाटित और अभिव्यक्त करना है इच्छाओं का विरोध करना ही तप है इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति होना चाहिए। इच्छाओं का विकास होने से कर्मों का नाश नहीं होता है
मुनि श्री निर्लोभसागर महाराज ने कहा कि भोग भोगने से भोग की चाहत खत्म नहीं होती है और यदि शास्त्र पढ़ने की रुचि नहीं है तो आप लंबे समय तक संसार में रहने वाले है शास्त्र आपकी आत्मा को अंदर से चमकाते हैं उन्होंने कहा भोजन जीने की कला देता है वही शास्त्र आपके आत्म कल्याण के लिए जरूरी है ।