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पंचकल्यानक प्रतिष्ठा महोत्सव हेतु वेदी भूमि पूजन कार्यक्रम संपन्न, श्रधालुओ मे विशेष उत्साह

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बड़ौत आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 17 नवंबर से 22 नवंबर तक, दिगंबर जैन कॉलेज के सी फील्ड में होने वाले चैत्यवृक्ष जिनालय जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महा महोत्सव की तैयारी प्रारंभ हो चुकी हैं। जिसके अंतर्गत 2 नवंबर को आज सुबह 8:00 बजे आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य में, दिगंबर जैन कॉलेज के सी फील्ड में वेदी भूमि पूजन कार्यक्रम, पंडित श्रेयांश कुमार जैन के निर्देशन में सानंद संपन्न हुआ । मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि पंचकल्यानक पंडित हंसमुख जैन के निर्देशन मे संपन्न होगा। संगीतकार प्रसिद्ध गायक रामकुमार दोराहा होंगे।17 नवंबर से 22 तक प्रतिदिन, गर्भ,जन्म, तप,केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक की मांगलिक क्रियाएँ होंगी।  21 नवंबर को रूपेश जैन द्वारा भजन संध्या की प्रस्तुती दी जायेगी। कार्यक्रम मे पंचकल्यानक महोत्सव के प्रमुख पात्र, सौधर्म इंद्र राजकुमार जैन जैनसन,कुबेर इंद्र अंकुर जैन दिल्ली,यज्ञनायक अशोक जैन देसी दवाई वाले,स्वागत अध्यक्ष धनपाल जैन,भगवान के माता पिता अभय कुमार अनिता जैन ज्योति परिवार,इशान इंद्र मनोज जैन पेट्रोल पंप वाले, सानत इंद्र विपुल जैन टीकरी वाले, राजा श्रेयांस नितिन जैन कली वाले,ब्रहम इंद्र संकल्प जैन अरिहंत गारमेंट,शतार इंद्र विराग जैन टीकरी वाले,ब्रहमोत्तर इंद्र संदीप जैन कली वाले,शुक्र इंद्र हर्षित जैन,महाशुक्र इंद्र गौरव जैन सुम्मी,भरत बाहुबली उमंग जैन रजत जैन खजान्ची परिवार,शोध भोजन प्रदाता अतुल जैन अनुज जैन सुपुत्र हेमचंद जैन सर्राफ,वात्सल्य भोज प्रदाता संजय जैन निखिल जैन दिल्ली, अखंड सौभाग्यवती दीपाली तुषार जैन कुमार उद्योग,चैत्यवृक्ष शिखर प्रदाता नरेश चंद मुकेश राकेश कोयले वाले,चैत्य वृक्ष भवन प्रदाता धीरज जैन सुपुत्र सुखमाल जैन,चैत्य वृक्ष वेदी प्रदाता अजय जैन खजान्ची परिवार,अध्यक्ष प्रवीण जैन, दिनेश जैन,सुनील जैन,आलोक मित्तल, सुभाष जैन,राकेश जैन,सतीश सर्राफ,बालकिशन जैन, नवीन सर्राफ, रोहित स्नेही आदि उपस्थित थे।

“कषाय से बचो, कल्याण-मार्ग पर चलो “- आचार्य विशुद्ध सागर

दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे धर्मसभा में सम्बोधन करते हुए कहा कि-.रोटी अंगारे पर सिकती है, पर अंगारे को मुख में नहीं रखा जाता है। उपकारी का उपकार मानो, पर उपकारी को सर्वस्व मत सौंपो। कोई भी कषाय आनन्द नहीं देती, कषाय तो कष्टकारी ही होती है। संकटों से बचना है, तो क्रोध, मान, माया और लोभ कषाय से स्वात्म रक्षा करो । जीवन एक संघर्ष है। हर क्षण धैर्य, साहस, विवेकपूर्वक जिंदगी जीना सीखो। पल भर का आवेग, क्षण भर का रोष, अल्प क्रोध भी आपको जीवन भर रुला सकता है। जोश में होश मत खोना। मानव का पल-पल महत्त्वपूर्ण है। एक क्षण भी व्यर्थ मत जाने दो। हर पल सजग रहकर जीवन जीना प्रारम्भ करो।

मित्रता करने के पूर्व जानो, पहचानो फिर मित्रता करो। व्यक्ति की परीक्षा साथ में बसने पर होती है, स्वर्ण की परीक्षा कसौटी पर कसने से होती है। लुभावने चेहरे देखकर मत संबंध जोड़ो, व्यवहार कुशलता भी देखा। संबंधों की समरसता के लिए सावधानी आवश्यक है । कषाय से प्रयत्न पूर्वक बचो। कषाय की एक कनिका जीवन भर की साधना को भंग कर देती है। कषाय में आवेग आता है। आवेग में विवेक खोकर आदमी अनर्थ करता है। विवेक पूर्वक निर्णय करो, निवेक पूर्वक कार्य करो, विवेक पूर्वक बोलो, विवेक पूर्वक जिंदगी जीना सीखो।विवेक के अभाव में किया गया निर्णय एवं कार्य कभी सुखद नहीं होता है। जो कार्य करने के उपरान्त दुःख हो और जिसका फल अशांतिकर हो वह त्याग्य ‘ही है। जिस कार्य से सुख हो, जिसका फल सुखद हो, नही कार्य करो। यश पूर्वक जीवन जीना सीखो। कषायों का विराम करो, कल्याण मार्ग पर चलो।