बड़ौत – दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे धर्म-सभा में सम्बोधन देते है हुए कहा कि – समय और इंसान की कीमत करना चाहिए, जो समय की कीमत करता है उसकी दुनिया कीमत करता है। समय को समझो, समय बहुमूल्य है। समय पर किया गया कार्य, सफलता सुख एवं आनन्दकारी होता है। सबका समय एक सा नहीं होता है, समय बदलता है।” समय के ताव को समझना सीखो। समय-समय पर झुकना सीखो। समय के अनुसार जीना सीखो। दुःख के समय में भी घबड़ाना नहीं, क्योंकि समय बदलते देर नहीं लगती ! ‘
संकल्प, समय एवं वचन का पक्का व्यक्ति ही प्रसिद्धि पाता है। जिसका संकल्प दृढ़ होगा, वही सफलता प्राप्त कर सकेगा। जो समय पर कार्य करेगा, समय पर दान देगा, उसका निश्चित ही दुनिया में नाम होगा। कुलीन-पुरुष अपने वचनों का उल्लंघन नहीं करते। सज्जन-पुरुष प्राणों से अधिक ‘प्रण’ को मानते हैं । धन-धरती,सम्पत्ति यहीं छूट जायेगी कुछ भी साथ नहीं जायेगा। तन से प्राण निकलें उसके पहले अपने जीवन में ऐसा कार्य कर लो, जिससे अगला भव निर्मल हो। जीवन अनमोल है। जीवन का एक- एक क्षण मूल्यवान है। जीवन के लक्ष्य को समझो। परिणामों की सँभाल करो। परिणाम सँभल गए, तो पर्याय सँभर जायेगी । वैभव पाना सरल है, परन्तु वैभव छोड़कर वे भव होना श्रम-साध्य है। मनुष्य भव प्राप्त करना, गुरु शरण प्राप्त करना, संयम धारण करना, आत्म कल्याण के लिए तप करना और आयु के अंत में सल्लेखना पूर्वक मरण करना अत्यंत कठिन है। सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया।सभा मे प्रवीण जैन,वकील चंद जैन, राजेश भारती, जय प्रकाश जैन, सुनील जैन, अशोक जैन, अतुल जैन, धनेंद्र जैन, धनपाल जैन,अनुराग मोहन, अमित जैन आदि उपस्थित थे।