एलोरा – मुनि श्री संधान सागर जी महाराज,पहाड़ पर प्रतिमायोग में लीन,,जाके जैसे नदिया नारे, वा के वैसे भरका जाके बाप मातारी, वाके वैसे लरका “बुंदेलखण्ड की यह कहावत सिव्द कर रहे है एलोरा में चातुर्मास कर रहे संतशिरोमणी आचार्य श्री 108विद्यासागर जी महाराज के परम तपस्वी शिष्य मुनि श्री 108संधान सागर जी महाराज! विगत 10दिनों से मुनीवर पहाड़ पर ही साधनारत है -हे वे मात्र आहार हेतु नीचे बस्ती मे जाते है। आज प्रात: काल से ही मुनि श्री ध्यान मे बैठे है पता चला हे कल सुबह तक पूज्य मुनि श्री प्रतिभायोग में रहेंगे।आज वे उपवास के साथ अपनी आत्मा के समीप हे। मुनि श्री को एकांतवासा एवं पहाड़ गुफाये, प्राकृतिक वातावरण अत्यन्त प्रिय हे मुनि श्री जब कभी भी इसी तरह के लम्बे ध्यान (प्रतिमयोग) में बैठे जाते है। शायद मुनि श्री जी इसलिए क्षेत्रो पर एवं पहाड़ को पास चातुर्मास करते है और जाने मुनिवर के बारे मे -आपको बताये मुनि श्री आहार में न मीठा लेते है न नमक न ही हरी वनस्पति सब्जी फल आदि मुनि श्री जी प्रतिदिन कूछ न कुछ विधि लेकर निकलते है -विगत दो दिनों से आहार में मात्र 5 ही वस्तु का परिमाण करके निकल रहे थे अनोदर उपवास तो उनकी दैनिक चर्या हो गयी! मुनि श्री इतना कम लेकर भी समाण को देते बहुत हे अभी आराधाना साधना प्रयोगशाला का आयोजन महती प्रभावना को साथ हुआ तो आगामी 15 से 29 अक्टूबर शरद पुर्णिमा तक शुक्ल पक्ष मे मुनि श्री के आशीर्वाद से अलग अलग विधान एवं पाठशाला अधिवेशन होने जा रहा है।