बड़ौत – दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने अजितनाथ सभागार मे धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि- ” जिसका त्रेकालिक चैतन्य-आत्मा से परिचय होता है, वह जगत् एवं अपनी देह पर भी राग नहीं करता है। शरीर के प्रति जो ममत्व-भाव है, वही आत्मा का शत्रु है। जो शरीर को पुष्ट करता और आत्मा को पतन करने वाला है। आत्म-साधक को शत्रुओं से अपनी “रक्षा करना चाहिए । “जब पुण्यात्मा जीव माँ के गर्भ में आता है, तो सुख-शांति प्रारम्भ हो जाती है। धन-वैभव, सम्पत्ति वर्धमान होने लगती है। यह सब धर्म की महिमा है। धर्म के प्रभाव से व्यक्ति स्वर्ग का देव बन जाता है। धर्म परम सुख का साधन है। पाप के फल से स्वर्ग का देव भी पशु बन जाता है। पापी जीव माँ के गर्भ में आता है, तो घर में अशांति प्रारम्भ हो जाती है ।घर की सम्पत्ति नष्ट होने लगती है। तीव्र पापी के पाप के प्रभाव से अल्प-समय में जन्म देने वाली माँ की भी मृत्यु हो जाती है । कृषक दाना भूमि में डालता है, तो चिड़िया का भी पेट भरता है, मनुष्य का भी पेट भरता है और साधु का भी पेट भरता है। दुनिया का पेट भरे उसका नाम ‘किसान है।
सच्चा बेटा वही होता है जो वृद्ध माँ को वृद्धाश्रम नहीं भेजता, अपितु जीवन भर सेवा करता है और श्रेष्ठ किसान वह है, जो गाय को कत्लखाने में नहीं बेचता है। जहाँ की रोटी और बेटी शुद्ध हो, उसका नाम भारत देश है।”जो दूसरों को संकटों में देखकर संकट के काम न करे, वही सच्चा ज्ञानी है। ज्ञानी, सज्जन पुरुष श्रेष्ठ कार्य ही करते हैं। दूसरों को देखकर जो पहले ही संभल जाए. वही नीतिज्ञ पुरुष जीवन में सफल हो सकता है।सभा का संचालन वरदान जैन ने किया। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्रेम चंद वीरेंदर जैन टेडा वालो को प्राप्त हुआ।सभा मे नगर पालिका अध्यक्ष पति अश्वनी तोमर, चौधरी खाप से मुकेश तोमर,सुरेंद्र तोमर बावली, श्री श्वेतांबर स्थानक वासी जैन समाज मंडी के अध्यक्ष शिखर चंद जैन,शहर के अध्यक्ष घसीटू मल जैन,अमित राय जैन आदि बाहर से पधारे सेकड़ो जैन श्रधालुओ ने आचार्य श्री को श्रीफल समर्पित किया।सभा मे सुभाष जैन, प्रमोद जैन, राजकुमार जैन, हंस कुमार जैन, सुधीर जैन, विमल जैन, अंकुर जैन, अनिल जैन, संजय जैन आदि थे।