कर्नाटक – कर्नाटक में चिकोड़ी गांव में जैनाचार्य परमपूज्य जैन आचार्य श्री 108 कामकुमारनंदी मुनिराज की वीभत्स हत्या ,एक गंभीर विषय ,दिल को दहला देने वाली घटना है।जिस माली की सहायता महामुनिराज ने की थी, उसी माली ने मुनिराज को मौत के घाट उतार दिया, तड़पा तड़पा कर हत्या कर दी , करंट लगा कर प्राणों को निचोड़ दिया ,और फिर टुकड़े टुकड़े कर बोरी में भर बोरवेल के गहरे खड्डे में डाल दिया, कितनी वेदना हुई होगी !कितने तड़पे होगे मुनिराज!इसे संवेदनहीनता की पराकाष्टा कहे या संवेदन शून्यता ,या मानवता पर कलंक,इतिहास में साधू संतो पर इतनी निर्ममता से घात किसी ने नहीं किया ,लगता है मानो मारकर बोटी बोटी कर बोरी में भरकर फेकने का नया आनंदमयी आत्म संतुष्टि का प्रचलन इस 21 वो सदी में चल पड़ा है । इतनी बर्बरता ,निर्ममता से तो एक आतंकवादी भी किसी को मौत के घाट नही उतरता। अगर ऐसा रहा तो लोगो का सहायता शब्द से विश्वास ही उठ जायेगा ,कौन विश्वास करेगा ?
ये हत्या किसी साधु की नही ,एक परंपरा की हत्या है,यह तो पीछी कमंडल की हत्या है ,ये अहिंसा की हत्या है ,यह जियो और जीने दो की हत्या है ,ये महावीर के पंथ की हत्या है ।जैन समाज के मुंह पर करारा तमाचा है ।जैन मुनि की वीभत्स हत्या को लेकर बहुत आक्रोश है ,हजारों जैन धर्मावलंबी इस घटना के विरोध में विशाल प्रदर्शन कर रहे है ,पुरजोर विरोध कर रहे है। भारत का जैन समाज इस नृशंस ,निर्मम हत्या के हत्यारों को सजा दिलाने के साथ साथ न्याय की गुहार लगा रहा है ,कुछ ज्वलंत मुद्दों पर सरकार के समक्ष अपनी मांगे रख रहा है। देश के सभी प्रांतों के विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है ,शांतिप्रिय, अहिंसा में विश्वास करने वाली जैन समाज सड़को पर उतरने पर मजबूर है । सरकार की बेरुखी,शासन,प्रशासन, मीडिया की चुप्पी, जैन धर्म के चल और अचल तीर्थो पर हमले, जो चिंता एवम चिंतन का विषय है इतनी विपदाएं ,उपसर्ग क्यों किए जा रहे है ,क्या यह कोई षड्यंत्र है ,या कोई साजिश है ? इसी संदर्भ में गुरुवार को सकल दिगंबर ,श्वेतांबर जैन समाज भाटापारा के द्वारा भी अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया तथा अपराधियों के खिलाफ कठोर से कठोर सजा तथा जैन मुनियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भी अपील की गई। उक्त जानकारी दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष पीयूष जैन ने दी।