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मर्यादा में रहकर ही महापुरुष बना जा सकता है – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

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डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि प्रथमानुयोग में चक्रवर्ती और अर्धचक्रि का वैभव और जीवन चरित्र के बारे में आप लोगो को पढने को मिलता है | उनको तो प्रायः मुक्त होना ही है इसी भव से | प्रायः इसलिए लगाया है कुछ – कुछ अन्यत्र भी चले जाते हैं और कुछ स्वर्ग आदि में भी जाते हैं | फिर भी उनकी उसी प्रकार से मुक्ति हो ही जाती है | वे कभी भी नरक से नहीं आते हैं पाप करने से नरक जा सकते हैं या जाते हैं | इनकी सेवा के लिए देव भी नियुक्त किये जाते हैं क्योंकि ये महान होते हैं | युग के आदि में वृषभनाथ भगवान हुए हैं उनके जयेष्ट पुत्र के रूप में उनका जन्म हुआ | सुनते हैं वे सर्वार्थ सिद्धि से आये थे | उनके पास बहुत वैभव और शक्ति संपन्न होने के बावजूद भी उन्हें मर्यादा रखना होता है | जब वे दिग्विजय के लिए निकले तो बिच में  विजयार्थ पर्वत आया उसे वे लाँघ सकते थे लेकिन सेना को भी साथ में लेजाना था इसलिए वहां रुक गए और वहां पर्वत में  नियम था उसके अनुरूप ही वहां सैनिको की रक्षा एवं शांति आदि के लिए शान्ति विधान, मन्त्र, जाप आदि किया और ३ दिन का उपवास भी किया | इसके बाद वहां पर्वत पर ६ माह तक गर्म लपटे निकलती रही जिस वजह से पूरी सेना सहित उन्हें वही रुकना पड़ा | शील का अर्थ स्वभाव होता है | पांच अणुव्रत तीन शील व्रत और चार शिक्षा व्रत होते हैं वे इसका पालन करते हैं | जब वे म्लेक्ष खंड पर विजय प्राप्त करते हैं तो वहां का राजा उन्हें ३२००० कन्याएं दान में देता हैं | पुरे छः खंड मिलाकर उनके पास ९६००० पत्नियाँ होती है | वे इसके अतिरिक्त किसी और की कामना नहीं करते और उसी में मर्यादित रहते है | इसी प्रकार श्रावक को भी अपने षट आवशयक का पालन करते हुए प्रति दिन पूजन और शांतिधारा करना चाहिये | आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री ज्ञानचंद जी अश्विन कुमार पाटनी दुर्ग (छत्तीसगढ़) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है |यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है |यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |