सिंगोली – जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसे हर प्रकार के संस्कार दिए जाते हैं लेकिन आज की अंधी दौड़ में बच्चों को धर्म से जोड़ने के विषय में कम सोचा जाता है ऐसे में बगड़ा परिवार के नौनिहाल अनय जैन ने 8 वर्ष की उम्र होने पर प्रथम अभिषेक किया । परिवार के संस्कार उसे धर्म से जोड़ने के लिए आगे लाए जैन दर्शन में यह मान्यता है कि जब बच्चा 8 वर्ष का होता है तब वह प्रथम अभिषेक कर सकता है उसके पहले नहीं लेकिन परिवार ने अपने पुत्र का जन्म उत्सव मनाते हुए परिवार के नौनिहाल अनय जैन को घोड़ी पर बिठाकर नगर में जुलूस निकाला एवम जैन मंदिर लाया गया जहां अनय ने नगर में विराजित मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर जी महाराज एवं दर्शित सागर जी महाराज का मंगल आशीष लिया और अपने जीवन का प्रथम अभिषेक शांति धारा की और श्रावक जीवन में प्रवेश किया। बालक ने प्रतिदिन अभिषेक करने का नियम लिया परिवार जन ने इस महोत्सव को स्वर्णिम बनाया एवं इसकी स्मृति बनाए रखने के लिए स्नेह भोज का भी आयोजन किया।
श्री चांदमल कमला जैन बगड़ा परिवार के सुपोत्र एवम अखिलेश अंतिम बगड़ा के पुत्र अनय को पूरे परिवार ने संस्कारों से ओतप्रोत किया साथ ही अनय के ज्येष्ठ माता पिता पुष्पेंद्र किरण जैन बगड़ा ने लाड प्यार के साथ संस्कारों से पल्लवित किया जिसका परिणाम हुआ कि आज परिवार का यह नौनिहाल धर्म से जुड़ने को और संस्कारों से जुड़ने के लिए आतुर दिखाई दिया और बालक ने इस उम्र में आकर धर्म के प्रति प्रथम पायदान रख दिया और अपने जीवन को उन्नत बनाया ऐसा बहुत कम देखने को ही मिला है की बच्चे के 8 वर्ष होने पर जन्मदिन मनाते हुए भी धर्म से जुड़ने का और प्रथम अभिषेक करने को आगे आए परिवार के सदस्य भी उसे आगे बढ़ाए और उसे एक महा महोत्सव का रूप दें । समाज के लिए ऐसे कार्य एक आदर्श स्थापित करते हैं। बगड़ा परिवार ने एक प्रेरणादायक उदाहरण दिया है। सभी को अपने बच्चों को 8 वर्ष के होने पर इसी तरह से बच्चों को प्रथम अभिषेक करवाना चाहिए और संस्कारों से जोड़ना चाहिए ताकि बच्चा विपरीत दिशा में ना जा सके।