तो देवगति मिलना भी तय है: प्रवीण ऋषि
टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
रायपुर – प्रभु महावीर ऐसा सिस्टम देते हैं कि कोई उसका हिस्सा बन जाए तो सुधर ही जाता है। वो ऐसा सिस्टम बनाते हैं कि जिसकी महावीर पर श्रद्धा न हो, मोक्ष पर श्रद्धा न हो, ऐसे लोगों के भी तीन गति के दरवाजे बंद हो जाते हैं। नरक गति। तिरयंच गति। मनुष्य गति। उसकी एकमात्र गति देव गति होती है। बशर्ते उसे सिस्टम को स्वीकार करना जरूरी है। टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने ये बातें कही । उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि यहां जो लोग बैठे हैं उनमें से एक भी व्यक्ति मोक्ष गति में जाना चाहता है। सभी के सभी स्वर्गीय होना चाहते हैं। जिन्हें श्रद्धा थी नहीं, है नहीं और होगी नहीं, ऐसे सभी लोगों को अभवी जीव कहा जाता है। ऐसे लोग भी जिन शासन को फॉलो करते हैं। तीर्थंकर के प्रोटोकॉल को फॉलो करते हैं। केवल प्रोटोकॉल को फॉलो करते हैं। ऐसे लोगों के पास चरित्र नहीं है। उनके पास श्रद्धा नहीं है। उनके पास सम्यक ज्ञान नहीं है। उनके पास केवल प्रोटोकॉल है। प्रोटोकॉल मतलब परमात्मा ने जैसी प्रवृत्ति करने के लिए कहा है, वैसा करता है। इसके पीछे छिपी भावना को पीछे छोड़ देता है। वो गोचरी के सारे नियमों का पालन करता है, लेकिन साधना के लिए गोचरी नहीं करता है। वो ये सब इसीलिए करता है ताकि प्रोटोकॉल ब्रेक न हो। जो केवल प्रोटोकॉल फॉलो करता है, वह भी देवगति में जाता है। ये चर्चा मैं सिर्फ इसलिए कर रहा हूं ताकि आपको ये बता सकूं कि तीर्थंकर परमात्मा का बनाया सिस्टम कितना स्ट्रॉन्ग है।
ऐसा कोई धर्म बताइए कि परमात्मा को न भी मानो तो भी स्वर्ग जा सकते हैं
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि नो इमोशन, नो डेडीकेशन। ऑनली परफेक्शन। मैं आपको ये बात दावे के साथ कह सकता हूं कि आप मुझे कोई ऐसा धर्म लाकर बताइए कि आप परमात्मा को न भी मानते हों तो आपका स्वर्ग जाना तय हो। जिनशासन ही एकमात्र ऐसा धर्म है जहां आपको यह सुविधा मिलती है। केवल आपको जिन शासन का प्रोटोकॉल फॉलो करना है। कर्म के बंधन से मुक्ति पानी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह और माया का त्याग करना है। फिर देखिए कि आपकी आत्मा की गति कैसे सुधरती है।
अर्हम विज्जा गर्भधान शिविर में सीखा बच्चों को क्या संस्कार दें
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि द्वारा अर्हम विज्जा शिविर के अंतर्गत समाजजनों को विभिन्न तरह से जीने की कला सिखाई जा रही है। इसी कड़ी में शनिवार से अर्हम विज्जा गर्भधान संस्कार शिविर का आयोजन किया गया है। ये शिविर रविवार को भी लगेगा। इसमें अभिभावकों को सिखाया जा रहा है कि किस तरह अपने बच्चों को संस्कार देना है। सकल जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में इसमें शामिल हो रहे हैं।