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गाय सड़क पर हैं और कुत्ते घरों में पल रहे हैं,यह गलत है मुनि श्री अजितसागर

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सागर – कुछ दशक पूर्व गाय का स्थान घरो में था घर की सारी विपत्तियां दूर होती थी लेकिन आज घरों में हिंसक जानवर कुत्ता बिल्ली आदि का पालन होता है पालन पोषण करने वाले ने गाय को सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया है और गाय के स्थान पर कुत्तों का पालन कर रहे हैं वह हिंसक जानवर है और जहां पर हिंसक जानवर पाले जाते हैं वहां मुनिराजो को आहार नहीं करना चाहिए।ये बात मुनि श्री अजितसागर महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज द्वारा लिखित मूक माटी महाकाव्य के स्वाध्याय में कहीं उन्होंने कहा की आज स्थिति यह हो गई है बड़े-बड़े बंगले हैं उनमें कुत्ते से सावधान लिखा हुआ है यह परंपरा गलत है। अतिथि सम्मान करने वाला हमेशा सम्मान पाता है यदि आप आज सम्मान नहीं करोगे तो कल आप का भी सम्मान वहां जाने पर नहीं होगा किसी की पीड़ा देखकर उसे दूर करने का भाव करुणा है किसी को बचाना करूणा है लेकिन किसी को दुख देना करूणा नहीं है । मुनि श्री ने कहा जमीन पर चलते समय नीचे देख कर चलना चाहिए इससे पापों की हिंसा से बचा जा सकता है कील, कांटा, पत्थर लगने से बचते है गड्ढा होता है तो गिरने से बचते हैं और जीव जंतु चलते हैं तो आपके पैरों के नीचे आने से बच जाते हैं आज आप लोग हरी हरी घास देखकर उस मार्ग पर चलते हैं उसमें भी जीव हिंसा है लेकिन मुनि महाराज उस मार्ग पर चलते हैं जिस पर सब चल चुके हो और हरी घास नहीं हो 

मुनि श्री अजितसागर महाराज ने कहा नारियों को स्वागत में विशेष वेशभूषा पहनना चाहिए महाभारत में एक प्रसंग आया था जिसमें हरित रंग स्वागत सम्मान करने जा रहे नारियों ने पहना था लेकिन सभी महिलाओं को गुलाबी रंग पहनकर किसी स्वागत सम्मान कार्यक्रम में जाना चाहिए गुलाबी रंग वैभवशाली होता है किसी के स्वागत सत्कार सम्मान में यह रंग ही पहनना चाहिए मुनि श्री ने कहा विवाह प्रसंग मांगलिक होगा उस दौरान काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए कोई शादी विवाह में भी आप जाएं तो काले रंग की साड़ी, कोर्ट, शर्ट नहीं पहने तो उसके जीवन में मंगल होगा काले कपड़े पहन कर मंदिर भी नहीं जाना चाहिए नारी का श्रृंगार साड़ी है भारत की नारी की पहचान साड़ी है यदि विदेशों में कोई महिला साड़ी पहनती है तो लोग उसे पहचान जाते हैं यह महिला भारत की है भारत की शोभा साड़ी से है लेकिन आज जहां पहचान की जरूरत है वहां पहचान खो रहे हैं घर में महिलाएं साड़ी पहन रही हैं बाहर निकलने पर जींस यह उत्तम संस्कृति नहीं है साधु संतों के पास हमेशा साड़ी पहनकर ही जाना चाहिए मुनि श्री ने कहा जब कहीं स्वागत सम्मान में सिर पर कलश रखने का मौका मिले तो चेहरे पर हमेशा मुस्कान होना चाहिए और घर के बाहर चौक पूर कर स्वागत किया जाए क्योंकि यह निमित्त मंगल कारक माना जाता है दक्षिण भारत में आज भी यह परंपरा जारी है हर घर के बाहर उस घर की महिलाएं चौक पूर्ति है।