Home धर्म - ज्योतिष गुरु पूर्णिमा पर टैगोर नगर के लालगंगा पटवा भवन में विशेष प्रवचन

गुरु पूर्णिमा पर टैगोर नगर के लालगंगा पटवा भवन में विशेष प्रवचन

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गुरु न‌ पुण्य से मिलते हैं, न तो भाग्य से वे केवल कृपा से मिलते हैं: प्रवीण ऋषि 

रायपुर – मिट्टी मिट्टी ही रह जाती है अगर कुम्हार नहीं मिलता है। पत्थर पत्थर रह जाता है अगर तराशने वाला मूर्तिकार नहीं मिलता है। इससे भी ज्यादा बुरी स्थिति बीज की है। अगर उसे कोई रोकने वाला नहीं मिला तो वह बीज भी नहीं रह जाएगा। मिट्टी इंतजार कर सकती है। पत्थर इंतजार कर सकता है। बीज इंतजार नहीं कर सकता। उसके पास इंतजार के लिए समय ही नहीं है। गुरु वह नहीं जिनको हम खोजें तो वह मिल जाएं। गुरु वह नहीं जो हमारे पुण्योदय के कारण मिल जाएं। गुरु वह नहीं जो हमारे नसीब में हो और मिल जाए। गुरु केवल गुरु कृपा के कारण मिलते हैं। हमें ऐसा लगता है कि हमारे खोजने पर गुरु मिल गए। गुरु मिले बिना आंख नहीं खुलती है। आंख जब खुल ही नहीं तो गुरु को कहां खोजने निकल जाएंगे। कोई अंधा कहे कि मैं हीरा खोजा है तो क्या आप विश्वास कर पाएंगे! क्या अंधा भी हीरे का मूल्यांकन कर सकता है? जो गुरु प्रभु तक पहुंचा दे, वास्तव में गुरु है। जो गुरु तक नहीं पहुंचा सकते, जिन शासन में गुरु नहीं माना गया है। जो तुम्हें परम धर्म और परम परमात्मा के साथ जोड़े, वही गुरु है। जो‌ स्वयं की स्वार्थ सिद्धि के लिए तुमको जोड़े वो द्रोणाचार्य तो हो सकते हैं लेकिन गुरु नहीं हो सकते। जब भी गुरु पूर्णिमा आती है तो मुझे रामकृष्ण परमहंस बहुत याद आते हैं। यदि आपने स्वामी विवेकानंद का जीवन चरित्र पढ़ा होगा तो आपको पता होगा कि गुरु किसे कहते हैं!

परमात्मा का तिरस्कार करने वाला योग्य नहीं हो सकता है

जो भी व्यक्ति परमात्मा का तिरस्कार करता है, कोई भी उसे योग्य नहीं कह सकता। मैं ये नहीं कह सकता कि मेरे अंदर योग्यता थी इसलिए मुझे गुरु मिले। मेरे घरवाले मुझे कहते थे कि काम बिगाड़ना हो तो प्रकाश को सौंपो। दूसरी बात मुझे मेरे घरवाले कहते थे कि मौत का सामान लेने भेजो, झटपट ले आएगा। तीसरी बात मैं आपको बता रहा हूं कि संवत्सर के दिन भी मैंने कभी एकासन नहीं किया था। ये मेरी योग्यता थी। मेरे दीक्षा लेने के बाद गुरुदेव के साथ तीन विद्वान ज्योतिषी संत थे। एक बार विहार के दौरान हम चारों नवदीक्षित एक जगह बैठे थे। सबके भविष्य पर चर्चा हो रही थी। किसके बारे में किसने क्या कहा! ये तो मेरी जानकारी में नहीं है। लेकिन, जो बात जो उन तीनों ने मेरे बारे में मिलकर कही वो याद है। पहली बात कि इसके और गुरुदेव के संबंध अच्छे नहीं रहेंगे। दूसरी भविष्यवाणी थी कि ये कभी बखान दे नहीं पाएगा। तीसरी भविष्यवाणी थी कि ये किसी का लोच कर नहीं पाएगा। मुझे दो भविष्यवाणियों से मुझे फर्क नहीं पड़ रहा था। पहली भविष्यवाणी ने मेरे अंदर भूचाल सा ला दिया। मैं उठा और सीधे गुरुदेव के पास पहुंचा। कुछ नहीं बोला। सामने सिर झुकाकर बैठ गया । वो पूछते रहे, क्या हुआ। जिसे दिल की बात कहनी पड़े, वो गुरु नहीं होता। गुरु बिना कुछ बोले ही मन की बात समझ जाते हैं। आज जो कुछ तुम्हारे सामने है, वो गुरुदेव की कृपा है।

अर्हम विज्जा समाधान शिविर में जीवन की हर समस्या का हल 

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कीर्ति जैन ने बताया कि 5 महीने के चातुर्मास के दौरान गुरुदेव अर्हम विज्जा समाधान शिविर के अंतर्गत जीवन की हर समस्या का हल करेंगे। 4, 5, 6 जुलाई को अर्हम पुरुषाकार ध्यान शिविर होगा। 11, 12, 13 जुलाई को अर्हम अष्टमंगल ध्यान शिविर होगा। गर्भ साधना शिविर का पहला चरण 15 और 16 जुलाई को होगा। जबकि, दूसरे चरण का गर्भ साधना शिविर 9 और 10 सितंबर को होगा। इसके अलावा 7, 8, 9 अगस्त काे अर्हम योग शिविर, 2, 3 सितंबर को अर्हम ब्लिसफुल कपल शिविर, 23, 24 सितंबर को अर्हम मृत्युंजय शिविर, 3, 4, 5 अक्टूबर को अर्हम डिस्कवर योरसेल्फ शिविर, 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को अर्हम पैरेंटिंग शिविर का आयोजन किया गया है।