सागर – काम करने का सौभाग्य यदि मिला है तो आप काम करिए आप स्वस्थ रहेंगे यश भी मिलेगा, काम भी हंसते-हंसते करना चाहिए तो आप बीमार भी नहीं पड़ेंगे यह बात मुनि श्री निर्दोष सागर महाराज ने नमकमंडी में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान के अवसर पर चौथे दिन कहीं उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के अंदर धर्म के संस्कार हैं वह धर्मात्मा व्यक्ति है और सभी प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर लेता है अंदर की तड़पन धर्मात्मा में होती है और यदि वह मंदिर नहीं जाता है तो उसे बेचैनी होती है उन्होंने कहा तन मन धन का उपयोग कैसे करें तन का उपयोग सेवा के माध्यम से करें। मन का उपयोग खुले विचारों से करें जिससे आप निस्वार्थ ढंग से सेवा कर सके जबकि धन धन से हमेशा उपकार करना चाहिए कहीं कभी जरूरत हो तत्काल प्रभाव से दान दें दूसरों की मदद करें मुनि श्री ने कहा जो निस्वार्थ सेवा करता है वह भी एक तप है चाहे तन से सेवा कर लो यह तप कर लो दोनों एक है लेकिन घरों में आज सेवा को लेकर टकराहट होती हैं देवरानी जेठानी में, सास बहू में टकराहट होती है और इसका कारण वह कुछ नहीं करती इसी के चलते मकानों में दीवार खड़ी हो जाती है। चूल्हा अलग हो जाता है
मुनि श्री ने कहा सास हो या बहू, देवरानी हो या जेठानी यदि आपको काम करने का सौभाग्य मिला है तो आप लिखले ना तो आप बीमार होगी ना ही अस्वस्थ होंगी और हंसते-हंसते काम करने से आप सबके बीच में छाई रहेंगी पहले के जमाने में पानी महिलाएं सिर पर रखकर बहुत दूर से लाती थी उन्हें कभी सिर दर्द नहीं होता था लेकिन आजकल की महिलाओं का सिर हमेशा गर्म बना रहता है उन्होंने कहा सिर ठंडा, आंखों में शरम, जुबान नरम, हृदय में रहम गुरुदेव की शरण में के चरणों में शरण होती है तो वह सुखी और प्रसन्न है आज शर्म खत्म हो गई है मर्यादा खत्म हो गई है आज अहम बढ़ रहा है और रहम खत्म हो रहा है मन से हमेशा अमीर बने रहना चाहिए पति हमेशा काम चाहता है और पत्नी प्रेम चाहती है मुनि श्री ने कहा पत्नी यदि प्रेम चाहती है तो उसे प्रेम दो और यदि पति काम चाहता है तो आप काम करो आज के संसार में सब चाहते हैं बेटा श्रवण कुमार बने तो उसके लिए आपको संस्कार देना होंगे।
मुनि श्री निर्लोभसागर महाराज ने कहा कि नियम कोई भी लो, बड़े से बड़े संकट से लोग बच जाते हैं बच्चों को फास्ट फूड नहीं खाना चाहिए फास्ट फूड खाने से मोटापा बढ़ रहा है शुगर हो रही है ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है हार्ट अटैक हो रहे हैं पैकेट में बंद अज्ञात भोजन अभक्ष्य है इसके खाने से सिर्फ हानि होती है कई प्रकार का नुकसान होता है मनुष्य पर्याय मिली है तो शुद्ध भोजन करने का प्रयास करो और शुद्ध भोजन करने से आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे आप स्वस्थ रहेंगे तो आप धर्म भी अच्छे से करेंगे जरा सी प्रतिकूलता आती है तो आपका धर्म ध्यान बंद हो जाता है आजकल पढ़े-लिखे भी गंवार होते हैं किसी ने पूछा महाराज गंवार कैसे हुए उन्होंने कहा जो व्यक्ति सिगरेट पीता है वह गंवार है यदि पढ़ा लिखा होता तो सिगरेट पर लिखी चेतावनी पढ़ता कि, सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसलिए लोग सिर्फ नाम के पढ़े लिखे हैं मुनिश्री ने कहा शिक्षा कोई भी हो उसका लक्ष्य चरम और परम है अच्छी शिक्षा ही सब कुछ है।