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भय को त्याग कर खुद को निर्भय वनाने – मुनि पुगंव श्रीसुधासागरजी महाराज

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मुरैना से हो रहा है जिज्ञासा समाधान

ज्ञान तीर्थ मुरैना में हो रहा है आज रात्रि विश्राम

मुरैना – भय को त्याग कर खुद को निर्भय वनाने के लिए हमें खुद ही पुरुषार्थ करके भय से अपने आपको मुक्त करना होगा हम खुद अपनी किस्मत भाग्य लिखते हैं भगवान आपका भाग्य नहीं बदल सकते वे इतन ऊपर है कि वे आपके साथ चल नहीं सकते हमें इतना भय क्यों लगता है कि कहीं हम ठोकर ना खा जाये।धर्म हमारे सामने है धर्मात्मा हमारे सामने है फिर भी हम भय भीत हो रहें हो भय लग रहा है भटकने का भय लग रहा था गड्ढे में गिरने का सूर्य तो निकल रहा है वह बराबर प्रकाश दे रहा है फिर भी हम भटक रहे हैं इसका मतलब आप  पुरुषार्थ हीन है उक्त आश्य केउद्गार मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने ज्ञान तीर्थ मुरैना में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए

मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि आज मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी ससंघ का आज भी जिज्ञासा समाधान का सौभाग्य ज्ञान तीर्थ मुरैना जैन समाज को मिल रहा है ज्ञान हो कि परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ससंघ का आचार्य भगवंत गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के संकेत अनुसार आगरा की ओर विहार चल रहा है आज अम्वा पोरसा मनियां धौलपुर आगरा के भक्तो परम के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ 

आज लोग धर्म का भी लोग शोषण कर रहे हैं

उन्होंने कहा कि हम धर्म का शोषण कर रहे हैं धर्म को जिंदगी का साधन बना लिया धर्म कर रहा है और धर्मात्मा ना हो ऐसी विचित्रता रावण के साथ जुड़ी थी साधु है लेकिन साधुता नहीं,भक्ति कर रहा है लेकिन भक्त नहीं शिष्य को गुरु पर गर्व होता ही है गुरु को भी शिष्य पर गर्व होता है।

भारतीय व्यक्ति का सबसे बड़ा दुर्भाग्य वे संतुष्ट नहीं हैं

उन्होंने कहा कि भारतीय व्यक्ति का सबसे बड़ा दुर्भाग्य कि वो जहां भी वह रह रहा है सन्तुष्ट नहीं है जिस देश में जन्मा है उसके प्रति वफादार नहीं है भारत की कीमत भारतीय की नजर में नहीं है यदि तुम्हारे लिए भारत में पांच लाख रुपए का पैकेज है और अमेरिका में पैंतालीस लाख रुपए का पैकेज दिया अब वहां मां बाप नहीं मन्दिर नहीं संस्कृति नहीं सभ्यता नहीं तीर्थकर भगवान की भूमि दी हम उस युग में जन्मे जब तीर्थंकर प्रभु का जन्म हो पांच लाख रुपए के साथ या पैंतालीस लाख रुपए का पैकेज लेकर अमेरिका चले जाते हैं वह कुछ भी नहीं मिलेगा तुम्हारे लिए तीर्थ भूमि संत धर्म संस्कृति संस्कार अपनी जिंदगी जीने का आधार माना है पैसा के आगे इनका मूल्य नहीं समझा तो ये भूमि आपको बद्दुआ देगी प्राप्त नहीं होगी