आगरा (विश्व परिवार)। आचार्य श्री सौरभसागर महाराज ने शांतिसागर सभागार मे आयोजित छहढाला प्रवचन सभा मे बोलते हुये बताया कि सबसे पहला धर्म करुणा है, लेकिन जिस प्रकार से देश मे धडाधड कत्लखाने खोल मांस निर्यात किया जा रहा है उससे अहिंसा परमो धर्म के नारे भी खोखले पडते जा रहे हैं उन्होने कहा कि आज मन्दिरो मे भी ढंग का धर्म कम और ढोंग का धर्म अधिक प्रारम्भ हो गया है, शांतिधारा मे मन्त्र कम नाम ज्यादा बुल रहे हैं, वीतरागता की जगह वित्तरागता की पूजा अधिक हो रही है, उन्होने कहा कि तीर्थ क्षेत्रों के विकास के लिए तक तो यह ठीक लगती थी, परन्तु मौहल्ले और कौलोनी के मन्दिरो मे यह व्यवस्था उबाऊ होती जा रही है, अभिषेक शांतिधारा व्यवस्था इतने लम्बे हो जाते हैं कि आज लोगो ने अभिषेक को इतना महत्व दे दीया है कि अष्ट द्रव्य से पूजन गौण होता जा रहा है उन्होंने कहा कि आज धर्म को अनपढ़ों से नही कुपडों से खतरा है उन्होने साधुओ और पन्तों के नाम पर मन्दिर और क्षेत्रों को न बांटने की सलाह दी छहढाला के प्रवचन दि.11 तक चलेंगे, 12 को सभी कि आसान सी परीक्षा व 13 व 14 को सकल समाज आगरा द्दारा पूज्य श्री के सानिध्य मे प्रात; 6.30 से 9.30 तक दो दिवसिय कल्याण मन्दिर विधान का भव्य आयोजन होगा जिससे सभी शिवरार्थी भी बैठेगे।
-संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी