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मैं सिर्फ निमित्त मात्र, तुम देश के लिए दुनिया में आए.! बेटे का दायित्व और प्रधानमंत्री का कर्तव्य

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ओ ओमार देशेर माटी, तोमार पौरे ठेकाई माथा यानि, हे मेरे देश की माटी, मैं तुम्हारे आगे अपना सिर झुकाता हूं. आजादी के इस अमृतकाल में, मातृभूमि को सर्वोपरि रखते हुए हमें मिलकर काम करना है.

आज पूरी दुनिया भारत को बहुत भरोसे से देख रही है.कोलकाता के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के ये शब्द कर्तव्य की पराकाष्ठा का प्रमाण हैं. तीस दिसंबर की ब्रहम मुहूर्त में जीवन के सबसे बड़े दुख का बोध, दायित्व का निर्वहन और चंद घंटों बाद कर्तव्य बोध के भाव के साथ कर्तव्यपथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ही दिन के अलग-अलग पहरों में चरैवेति-चरैवेति के सिद्दांत को व्यव्हारिक रूप में सामने लाकर रख दिया है.

कभी मां के संदर्भ में उन्होनें लिखा था…

“मुझे तो जगत को भावनाओं से जोड़ना है.

मुझे तो सबकी वेदना की अनुभूति करनी है”.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये शब्द आज उनके व्यवहार में गूंज रहें हैं. मैं देश नहीं रुकने दूंगा का यही मंत्र है. एक व्यक्ति के लिए, एक परिवार के लिए करीबियों के लिए, संवेदनशील भावुक व्यक्तियों के लिए ये एक दुख की घड़ी है. लेकिन प्रधानमंत्री खुद कहते हैं उनकी मां उनको देश को समंर्पित कर चुकी हैं. अपने ब्लॉग में उन्होनें बताया था कि कैसे मां ने कहा “मैं सिर्फ निमित्त मात्र हूं तुम्हें ईश्वर ने गढ़ा है और तुम ईश्वर के काम के लिए, देश के लिए इस दुनिया में आए हो”

प्रधानमंत्री के परिवार ने खुद सबसे अपील की है कि वो पहले से निर्धारित और तय काम ना रोकें. अपनी प्रतिबद्धता को प्राथमिकता दें. कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और नेताओं को प्रधानमंत्री ने खुद अपने काम को प्राथमिकता देने के लिए कहा और उन्हें अहमदाबाद आने से रोका. अपने कार्यकाल और अपने व्यक्तित्व से कई ऐसे उदाहरण से प्रधानमंत्री मोदी ने सामने रखे जिनसे ये नज़ीर पेश हो कोई भी घटना कैसी, कितनी बड़ी हो कि देश नहीं रुकना चाहिए.

प्रधानमंत्री बनने से पहले साल 2013 में पटना में हो रही उनकी रैली में जब धमाके हुए तो वो मंच पर इसलिए अडिग रहे ताकि भगदड़ ना होने पाए. साल 2019 चौदह फरवरी पुलवामा में आंतकी हमला हुआ. लेकिन 15 फरवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पहली इंजनरहित ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ये किसी आतंकी हमले से निडर, दबाव में दिखे बिना विकास के पथ पर दिखने का उदाहरण था.

  • 24 अगस्त 2019 पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन के वक्त भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहरीन में थे और वहां उन्होनें एक संबोधन में का आज मैं एक दर्द दबा के आपके बीच मौजूद हूं . एक दोस्त चला गया मैं इतनी दूर हूं. एक तरफ कर्तव्य और एक तरफ दोस्ती.
  • 6 फरवरी 2022 स्वर कोकिला लता मंगेशकर जो प्रधानमंत्री की बहुत करीबी रहीं उनके निधन के बाद भी उत्तर प्रदेश में वर्चुअल रैली की जो अपने तय समय पर ही हुई.
  • 24 अप्रैल 2022 धारा 370 समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री जब पहली बार जम्मू कश्मीर पंहुचे उनकी रैली से ठीक पहले धमाका हुआ लेकिन प्रधानमत्री की रैली रद्द नहीं हुई.

कई बार प्रधानमंत्री के विदेश दौरों के बाद कयास लगाए गए अब तो जैट लैग होगा लेकिन अगले ही कुछ घंटों में मालूम चलता उनके कदम अगली मीटिंग के लिए बढ़ चुके हैं. इसकी आलोचना भले ही हो सकती है लेकिन प्रतिबद्धता की ये मिसाल एक अलग दृष्टिकोण, अलग नज़रिया, अलग उदाहरण लिए हुए है.

शेक्सपियर अंग्रेजी में कहते हैं “द शो मस्ट गो ऑन” लेकिन भारत में सनातन ये चिर काल से कहता आ रहा है कर्मण्येवाधिकारस्ते. यही विचार “इदम ना मम” यानि ये मेरा नहीं है ये देश का है के मंत्र को जपता हुआ अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर है. बड़े से बड़ा कष्ट बस कर्म करके ही पार होता है. मां के पंचतत्व में विलीन होने के बाद प्रधानमंत्री वापस विकास के उस पंचप्राण पर जुट गए है जिसका आह्वान उन्होंने स्वयं लालकिले से किया था.

स्व मस्तक की त्यौरियां भुला

राष्ट्र के माथे का मान करे

डटे रहे कर्तव्यपथ पर

पहले कर्म का सम्मान करें.