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भारत और चीन विवाद: सीमा पर तनाव को 500 शब्दों में समझिए

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पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के रिश्ते ख़राब रहे हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पर कई इलाक़ों में विवाद है. दोनों देश इस मामले में अलग-अलग दावे करते हैं.

500 शब्दों में समझिए इसकी पृष्ठभूमि और ये भी जानिए कि हो क्या रहा है.

तनाव का कारण क्या है?

दोनों देशों के बीच विवाद की वजह है 3440 किलोमीटर लंबी सीमा. इसको लेकर दोनों देशों के अपने-अपने दावे हैं.

इस इलाक़े की स्थिति ऐसी है कि कई बार नदियों, झील और बर्फ़ से घिरे पहाड़ों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद होता रहता है और कई बार दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ जाते हैं.

दोनों देश सीमावर्ती इलाक़ों में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण भी कर रहे हैं.

भारत भी ऊँचाई पर स्थित हवाई ठिकाने तक सड़क का निर्माण कर रहा है जिसको लेकर चीन ने कई बार आपत्ति भी जताई.

वर्ष 2020 के जून में गलवान में भारत और चीन के बीच संघर्ष में भारत के 20 सैनिक मारे गए.

कई महीने बाद चीन ने इस संघर्ष में अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की.

गलवान के बाद और पहले भी दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की कई बातचीत हुई और हो भी रही है, लेकिन तनाव बरक़रार है.

सबसे हालिया विवाद नौ दिसंबर 2022 का है जब अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है.

भारतीय सेना का कहना है कि इस झड़प में दोनों देशों के कुछ सैनिक घायल हुए हैं.

अभी तक चीन की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

दोनों देशों के बीच संघर्ष में वर्ष 2020 ख़ासा हिंसक रहा. 1975 के बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच ऐसा संघर्ष था जिसमें कई सैनिक मारे गए.

हालाँकि इस संघर्ष के दौरान डंडों और अन्य हथियारों का इस्तेमाल हुआ, लेकिन बंदूक का इस्तेमाल नहीं हुआ.

1996 में दोनों देशों के बीच ये सहमति हुई थी कि सीमा पर बंदूक या विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

भारत ने अपने सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की. लेकिन चीन कई महीनों तक अपने सैनिकों के मारे जाने की बात से बचता रहा.

हालाँकि चीन ने अपने बयान में संघर्ष के लिए भारतीय सैनिकों को ज़िम्मेदार बताया था.

असर क्या होगा

दोनों देशों के बीच 1962 में एक युद्ध हो चुका है. इसमें भारत की हार हुई थी.

लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सीमा पर बढ़ता तनाव कहीं बड़े संघर्ष में न बदल जाए, इसे लेकर चिंता जताई जाती रही है.

जानकार इसे लेकर इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं.

इसका आर्थिक पक्ष भी है क्योंकि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

चीन और भारत के बीच तनाव का चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों पर भी असर पड़ा.

जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत ही एकमात्र रास्ता है.