Home देश बीते हफ़्ते की वो ख़बरें, जो शायद आप मिस कर गए

बीते हफ़्ते की वो ख़बरें, जो शायद आप मिस कर गए

21
0

नमस्ते. उम्मीद है कि आप अच्छे होंगे, खुश होंगे और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे होंगे.

हम जानते हैं कि रोज़मर्रा की आपा-धापी के बीच आपके लिए देश-दुनिया की हर ख़बर पर नज़र रखना मुश्किल रहता होगा.

ऐसे में हम लाए हैं बीते सप्ताह की कुछ दिलचस्प और अहम ख़बरें, जिन पर शायद आपकी नज़र ना गई हो.

ये पाँच ख़बरें आपने पढ़ लीं तो ये समझिए कि आप पूरी तरह से अपडेटेड हो गए.

गौतम अदानी ने साइकिल पर कारोबार से कैसे बनाया सैकड़ों अरब का कारोबारी समूह

नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वो अपने बचपन में रेलवे प्लेटफॉर्म पर चाय बेचा करते थे, गौतम अदानी अहमदाबाद में अपना माल बेचने साइकिल पर घर-घर जाया करते थे.

अब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और उनके क़रीबी दोस्त माने जाने वाले गौतम अदानी दुनिया के पाँच सबसे अमीर लोगों में शुमार किए जाते हैं.

गौतम अदानी की संपत्ति में आए इस ज़बरदस्त उछाल को अक्सर उनके आलोचक नरेंद्र मोदी की सियासी तरक़्क़ी के साथ जोड़ते हैं. पहले वो गुजरात के सबसे ताक़तवर व्यक्ति बने और फिर भारत के.

गौतम अदानी ने आख़िर कैसे साइकिल से शुरू कर कैसे खड़ा किया अरबों रुपये का कारोबारी समूह. पढ़िए बीबीसी की ख़ास रिपोर्ट.

क़तर के शाही और रईस परिवारों में काम करने वाली नौकरानियों के जीवन का ये सच

क़तर की राजधानी दोहा में इन दिनों वर्ल्ड कप फ़ुटबॉल के मैच खेले जा रहे हैं.

इस दौरान मानवाधिकार मामलों के उल्लंघन की चर्चा हो रही है और इस पर नज़र रखी जा रही है. स्टेडियम और होटल बनाने वाले अप्रवासी मज़दूरों के साथ ख़राब कामकाजी सुविधाओं को लेकर काफ़ी कुछ लिखा जा चुका है, लेकिन क़तर के शाही लोगों के घरों में काम करने वाली नौकरानी की ज़िंदगी कैसी होती है?

बीबीसी की जेंडर एंड आइडेंटेटी संवाददाता मेघा मोहन ने ऐसी दो नौकरानियों से बात करके उनके जीवन के बारे में जानने की कोशिश की है, इनको बिना किसी अवकाश के कई कई घंटे काम करना होता है.

पढ़िए पूरी ख़बर

वर्ल्ड कप: तानाशाह सरकारें और ‘फ़ीफ़ा’ का विवादित इतिहास

क़तर की आलोचना सिर्फ़ देश की महिलाओं और समलैंगिकों के अधिकारों पर उसके रुख़ के कारण ही नहीं बल्कि वर्ल्ड कप के लिए स्टेडियम तैयार करने वाले मज़दूरों के काम के हालात पर भी उसकी आलोचना हुई है.

आपको बता दें क़तर में समलैंगिकता अपराध है.

फ़ुटबॉल की वैश्विक संस्था आमतौर पर मेज़बान देशों पर विभिन्न प्रकार के नियम लागू करती है जो अक्सर उन देशों के स्थानीय क़ानूनों से टकराते हैं.

लेकिन क़तर में फ़ीफ़ा ने टूर्नामेंट शुरू होने से दो दिन पहले शाही सरकार की ओर से स्टेडियमों में शराब की बिक्री पर पाबंदी की घोषणा को बिना किसी रुकावट के मान लिया था.

पढ़िए, फ़ीफ़ा से जुड़े और कौन से विवादों पर ये ख़ास रिपोर्ट

चलते-चलते कार्डियक अटैक और तुरंत मौत- क्या बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?

हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर लोगों को अचानक आए हार्ट अटैक के वीडियो वायरल होते देखे जा सकते हैं.

सोशल मीडिया पर अलग-अलग इलाक़ों के वीडियो में जहाँ शादी में नाचता एक व्यक्ति अचानक ज़मीन पर गिरता दिख रहा है, वहीं एक दूसरे वीडियो में एक समारोह में लड़की हाथ में बुके ले जाते हुए गिर जाती है.

एक अन्य वीडियो में अपने दोस्तों के साथ चलते-चलते एक व्यक्ति ज़मीन पर गिर जाता है.

इन घटनाओं के बाद ट्विटर पर # heartattack भी ट्रेंड करने लगा था और लोग कमेंट करके इस तरह की अचानक मौतों पर चिंता व्यक्त करते दिखाई दिए.

पढ़िए ये पूरी ख़बर…

स्मिता पाटिल और शबाना आज़मी की ‘अर्थ’: ज़िंदगी के मायने तलाशती दो औरतों की दास्तां

एक शादी, दो रिश्ते और दो औरतें- पूजा जो बचपन से अनाथ थी और शादी हो जाने के बाद पति इंदर ही उसकी दुनिया है और दूसरी कविता जो सुपरस्टार है, लेकिन अंदर से ख़ुद को एकदम असुरक्षित और खोखला महसूस करती है, उसकी ज़िंदगी में प्यार तो है लेकिन वो प्यार दुनिया की नज़रों में नाजायज़ है.

इन दोनों को तोड़ने और जोड़ने वाला धागा है इंदर (कुलभूषण खरबंदा) जो पत्नी पूजा (शबाना आज़मी) से अपनी ‘बेवफ़ाई’ की सफ़ाई कुछ इस तरह देता है, “मैंने तुमसे प्यार करना नहीं छोड़ा पूजा. फ़र्क़ इतना पड़ गया है कि मैं कविता (स्मिता पाटिल) से भी प्यार करता हूँ.

“रिश्तों के इस भंवर में ज़िंदगी का अर्थ खोजती इन दोनों औरतों की ही कहानी है फ़िल्म ‘अर्थ’, जो 40 साल पहले तीन दिसंबर, 1982 को रिलीज़ हुई थी.