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शीतकालीन सत्र : सरकार की नजर विधेयक पारित कराने पर, विपक्ष ने चर्चा के लिये पर्याप्त समय मांगा

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नयी दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से शुरू हो गया जिसमें सरकार की कोशिश 16 नये विधेयकों एवं अनुदान की अनुपूरक मांगों को पारित कराने की रहेगी । वहीं 17 बैठकों वाले इस सत्र में विपक्षी दलों ने महंगाई, बेरोजगारी, चीन के साथ सीमा पर स्थिति, कॉलेजियम के विषय व केंद्र राज्य के संबंध जैसे मुद्दों को उठाने व चर्चा के लिये पर्याप्त समय देने की मांग की है संसद का शीतकालीन सत्र सात दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर को समाप्त होगा। इस दौरान 17 बैठकें होंगी ।

संसद में हंगामे से देश का बहुत नुकसान-मोदी

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में हंगामे और व्यवधान के चलते देश का बहुत नुकसान होता है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से शीतकालीन सत्र को अधिक से अधिक सार्थक बनाने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने का आग्रह किया। बुधवार से शुरू हो रहे सत्र के दूसरे दिन आठ दिसंबर को हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम भी सामने आएंगे। ऐसे में शीतकालीन सत्र पर इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम की छाया भी देखने को भी मिलेगी।

सोमवार को हुई सर्वदलीय बैठक

संसद सत्र में सुचारू रूप से कामकाज चलाने के उद्देश्य से चर्चा के लिये सरकार ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें 31 दलों के सदन के नेताओं ने हिस्सा लिया था। विपक्षी दलों ने महंगाई, बेरोजगारी, चीन से लगी सीमा की स्थिति, कॉलेजियम के मुद्दे से जुड़ा विषय, केंद्र राज्य संबंध एवं संघीय ढांचे का विषय एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण पर अदालती फैसले सहित कुछ अन्य मुद्दों को उठाने एवं चर्चा कराने के लिये पर्याप्त समय देने की मांग की है। सरकार ने बैठक में आश्वस्त किया कि वह लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की अनुमति से नियमों के तहत विपक्ष के उठाये मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है।

कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में हो सकता है टकराव

शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों द्वारा उठाये जाने वाले कई मुद्दों में प्रमुख मुद्दा पूर्वी लद्दाख में चीन से लगी सीमा की स्थिति और जांच एजेंसियों के कथित दुरूपयोग का विषय है और इन मुद्दों पर सदन में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सरकार की योजना सत्र में 16 नए विधेयक पेश करने की है जिनमें बहु-राज्यीय सहकारी समितियों में जवाबदेही बढ़ाने और इसकी चुनावी प्रक्रिया में सुधार से संबंधित विधेयक शामिल हैं। इस दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में पुराना अनुदान (विनियमन) विधेयक, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक आदि भी शामिल हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि विपक्ष बहु-राज्यीय सहकारी समितियां (संशोधन) विधेयक, 2022 और वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजे जाने की मांग करेगा।