देशभर में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई वाली ”भारत जोड़ो यात्रा” पड़ोसी महाराष्ट्र से 23 नवंबर की अलसुबह मध्यप्रदेश में दाखिल होकर आगे बढ़ी, तो इसके रास्ते में पड़ने वाले खेतों में रबी फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी थी।
आपको बता दें कि कांग्रेस भले ही कहे कि इस यात्रा का चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यात्रा द्वारा जनता का ध्यान खींचने से जोश में आए कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के मन में सूबे की वह सत्ता दोबारा हासिल करने की उम्मीद का बीज पड़ चुका है जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के भाजपा में शामिल होने से मार्च 2020 में छिन गई थी।
यात्रा में शामिल हुए स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता
सियासी जानकारों का हालांकि मानना है कि विधानसभा चुनावों में अभी पूरा एक साल बाकी है और कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है कि वह गांधी की यात्रा से पैदा रवानी को तब तक बरकरार रखते हुए किस तरह वोट में बदल पाती है।खरगोन जिले में हाल ही में यात्रा में शामिल हुए स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता परसराम आध्या (40) को गांधी ने अचानक मिलने बुलाया। मुलाकात के बाद खुश आध्या ने कहा, ”हम तीन पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ हैं। मैं यात्रा में शामिल होने के लिए अपनी एक दिन की दिहाड़ी छोड़कर आया। यात्रा से प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होगा।”
राहुल गांधी को करीब से देखने की उत्सुकता
भाजपा की प्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा,”इस यात्रा से केवल राहुल गांधी को शारीरिक फायदा होगा क्योंकि वह खूब पैदल चल रहे हैं। कांग्रेस को राज्य में इस यात्रा से कोई भी फायदा नहीं होने वाला।”कांग्रेस से प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध रखने वाले व्यक्तियों के अलावा, ऐसे लोगों की तादाद भी कम नहीं है जो नेहरू-गांधी परिवार के वारिस राहुल गांधी को करीब से देखने की उत्सुकता के चलते यात्रा में शामिल हुए। यात्रा के खंडवा जिले के रुस्तमपुर गांव से गुजरने के दौरान छात्रा नेहा (16) ने कहा,”इससे पहले मैंने राहुल गांधी को टीवी या मोबाइल फोन पर देखा था। अब मैंने उन्हें मेरे गांव में अपने सामने देख लिया।”
सत्तारूढ़ भाजपा पर हमले बोल रहे हैं
यात्रा के मंचों से गांधी खासकर बेरोजगारी, नोटबंदी और ”गलत माल एवं सेवा कर” (जीएसटी) के मुद्दों के साथ ही ”देश का पूरा धन तीन-चार उद्योगपतियों के हाथों में केंद्रित होने” का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर हमले बोल रहे हैं। यात्रा में एक व्यक्ति हाथ में राष्ट्रध्वज तिरंगा लहराते हुए हमेशा गांधी के साथ चलता है और सभाओं के मंच पर भी मौजूद रहता है। मंच से गांधी द्वारा तिरंगे के जिक्र के वक्त सभाओं में शामिल लोगों में उत्साह की लहर साफ देखी जा सकती है।
महासचिव जयराम रमेश कहते हैं
सियासी हलकों में इसे राष्ट्रवाद के उस अहम सियासी मुद्दे पर भाजपा को कांग्रेस के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है जो चुनावों के वक्त जोर पकड़ता है।बहरहाल, कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि गांधी की अगुवाई वाली यात्रा से सूबे के पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित जरूर हैं, लेकिन यह चुनाव जीतो या चुनाव जिताओ यात्रा कतई नहीं है।
राज्य के आम लोगों में चर्चा का विषय
मध्यप्रदेश की सियासत पर नजर रखने वाली वरिष्ठ पत्रकार जयश्री पिंगले ने कहा, गांधी की यात्रा राज्य के आम लोगों में चर्चा का विषय तो बनी है। लेकिन अगले विधानसभा चुनावों के जरिये सत्ता तक पहुंचने का कांग्रेस का सफर अब भी आसान नहीं है। अब यह कांग्रेस संगठन पर निर्भर करता है कि वह इस यात्रा में सामने आए मुद्दों को मतदाताओं के बीच नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों तक किस तरह जिंदा रखता है।
मध्यप्रदेश में 23 नवंबर को दाखिल हुई यात्रा
गांधी की अगुवाई वाली यात्रा महाराष्ट्र से गुजरने के बाद दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले बुरहानपुर जिले के बोदरली गांव से मध्यप्रदेश में 23 नवंबर को दाखिल हुई थी। यह यात्रा चार दिसंबर को राजस्थान में दाखिल होने से पहले, 12 दिन के भीतर पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में 380 किलोमीटर का फासला तय करेगी।