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मुकेश तिवारी ने ‘जगीरा डाकू’ का किरदार निभाने 45 दिन नहाया नहीं था, दो साल कोई काम नहीं मिला

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Actor Mukesh Tiwari चाइना गेट फिल्म के जगीरा डाकू का किरदार निभाने वाले अभिनेता मुकेश तिवारी ने उस किरदार को इतना जीवंत किया था, शूटिंग के दौरान 45 दिन तक उन्होंने नहाया नहीं था, उनके शरीर से बदबू आने लगी थी।

शूटिंग के दौरान उनका घोड़ा गोली की आवाज से बिदक गया था, गिरने के कारण उन्हें चोट भी आई थी। मुकेश तिवारी ने बताया कि जगीरा डाकू का किरदार निभाने के बाद एक-दो साल तक उनके पास फिल्मों में काम नहीं मिला। लोग समझ नहीं पाते थे कि मुकेश तिवारी कैसा है! जो जगीरा था, या मैं। यह बात मुकेश तिवारी ने अपने गृहनगर सागर में डॉ. हरीसिंह गौर विवि के स्वर्णजयंती सभागार में छात्र संवाद के दौरान बताई। उन्होंने चाइनागेट फिल्म के जगीरा डाकू का फेमस डॉयलाग भी मंच से सुनाया।

मुकेश तिवारी ने ‘जगीरा डाकू’ बनने 45 दिन नहाया नहीं था, दो साल कोई काम नहीं मिला

जगीरा डाकू का जंगली किरदार निभाने 45 दिन तक नहाया नहीं था

अभिनेता मुकेश तिवारी सागर के रहने वाले हैं। उन्होंने सागर के डॉ. हरीसिंह गौर विवि से पढ़ाई की है। वे विवि के संस्थापक महान दानवीर गौर बब्बा से संबोधन देते हैं। डॉ. गौर की 153 वीं जयंती के मौके पर उन्हें मेधावी छात्र व विवि, सागर का नाम देश-दुनिया में रोशन करने के कारण विशेष रुप से विवि ने आमंत्रित किया था। शुक्रवार को वे छात्र संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए और अपने कॅरियर से लेकर अभी तक के सफर, फिल्मी जीवन व शूटिंग के दौरान की यादों को मंच से साझा किया। विवि के संतोष सहगोरा द्वारा एक सवाल के बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने तो नही बताया था, लेकिन लोगों को पता चल गया था कि कोई तो है जो नहाया नहीं है!

गौर जयंती पर छात्र संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए मुकेश तिवारी

डॉ. हरीसिंह गौर की153वीं जयंती के अवसर पर गौर उत्सव और सागर गौरव दिवस के अंतर्गत विश्वविद्यालय एवं सागर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रख्यात सिने अभिनेता मुकेश तिवारी का विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद कार्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी भी मौजूद रहे।

जगीरा डाकू के किरदार के बाद 2 साल तक काम नहीं मिला

मुकेश तिवारी ने सिने जगत से सम्बंधित बातों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ष्चाइनागेटष् में नेगेटिव रोल करने के बाद उनके पास १.२ साल तक काम नहीं था। पर यह सभी कलाकारो के संघर्ष का हिस्सा होता है। उन्होंने बुंदेली सिनेमा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बुंदेलखंड में सिनेमाघरों की कमी है, जिससे इसका प्रदर्शन कम होता है। इस कारण बुंदेली सिनेमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

मुंबई में बुंदेली मानुष को जगाए रखा है

अभिनेता मुकेश तिवारी ने कहा कि अधिकांश चर्चित हिट फिल्मों में बोली का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि बोली से भाव अभिव्यक्त होते हैं, जबकि भाषा सिर्फ विद्वता दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मुंबई जैसी नगरी मैंने अपने बुंदेली मानुष को जगाये रखा, क्यूंकि वह जब भी पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ते हैं उस को बुंदेली लहज़े में पढ़ते हैं।

जगीरा का फेमस डायलॉग सुनाया तो तालियों से गूंज उठा हाल

विश्वविद्यालय के छात्र कलाकारों के साथ मुकेश तिवारी ने बधाई नृत्य भी किया। फिल्म चाइनागेट का चर्चित डायलाग भी सुनाया। मुकेश तिवारी की आवाज़ में हरीसिंह गौर की गाथा का संक्षिप्त आडियो प्रसारण भी किया गया। अंत में रैपिड फायर सत्र भी हुआ जिसमें उनके पसंदीदा चीजों और नापसंद चीजों के बारे में प्रश्न पूछा गयाण् शहर के पत्रकारों, पूर्व छात्रों और शिक्षकों और अन्य लोगों ने भी उनसे कई सवाल किए।

डॉ. गौर ने युवाओं के लिए महादान किया था, उनकी संवेदनशीलता को समझना होगा

डॉ. आशुतोष एवं संतोष सोहगौरा ने मुकेश तिवारी के साथ संवाद किया डॉ गौर के बारे में अपने विचारों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. गौर के चिंतन की संवेदनशीलता को समझने की आज हमें ज़रूरत है जिन्होंने उस समय, भारत के एक ऐसे क्षेत्र में विवि की स्थापना की जहां न कोई उद्योग लगाने की इच्छा रखता था न ही अपनी बेटी की शादी करवाने की। उन्होंने यहां के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु महादान दिया। उनके दृष्टिकोण में डॉ. गौर ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हे अपने सपनों की खूबसूरती पर पूरा यकीन था।

मुकेश तिवारी से विद्यार्थियों का सवाल-किसी की रैगिंग की है क्या?

विद्यार्थियों ने उनसे कई सवाल किये छोटे शहर के लोग जिनके पास संसाधन की कमी है, वह कैसे आगे बढ़ें? पुराने एवं नए सिनेमा में क्या अंतर है जिससे उनके हिट या फ्लॉप होना निर्धारित होता है, कॉमेडी रोल को बखूबी निभाने के राज़, अपने पंसीदा किरदार, कॉलेज के दौरान किसी कि रैगिंग की है क्या? कोई किरदार आप के व्यक्तित्व पर हावी हुआ है, रोमांटिक किरदार की चाह रखना आदि शामिल थे।