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छत्तीसगढ़ कैबिनेट का बड़ा फैसला:बाढ़-सूखा से फसल नुकसान हुआ तो 8,500 से 22,500 रुपए हेक्टेयर तक मुआवजा, मुख्यमंत्री का स्वेच्छानुदान भी 110 करोड़

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्राकृतिक आपदा से जुड़े मामलों में बड़ा फैसला हुआ है। सरकार ने पीड़ितों की मदद के लिए मुआवजा बढ़ा दिया है। अब बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि और पाला आदि से फसलों को नुकसान हुआ तो जमीन की प्रकृति के मुताबिक आठ हजार 500 रुपए से लेकर 22 हजार 500 रुपए प्रति हेक्टेयर तक का मुआवजा दिया जाएगा।

कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए कृषि, पंचायत और संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राजस्व पुस्तक परिपत्र के तहत सरकार की ओर से सहायता दी जाती थी। यह सहायता राशि लंबे समय से एक जैसी बनी हुई थी। इसकी वजह से पीड़ितों को नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती थी। ऐसे में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर सहायता राशि को बढ़ाया गया है। इसमें जनहानि का मुआवजा तो पहले की तरह चार लाख रुपए ही है। लेकिन फसल, मकान, जमीन और मवेशी आदि के नुकसान का मुआवजा बढ़ाया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान की सीमा को भी बढ़ाया गया है। पहले यह 70 करोड़ रुपए था। इसे बढ़ाकर अब 110 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है।

अब आपदा पीड़ितों को इस दर से मिलेगी मदद

नई मछली पालन नीति में बदलाव को मंजूरी

कैबिनेट ने नई मछली पालन नीति में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत अब मछली पालन के लिए तालाब अथवा जलाशय की नीलामी नहीं होगी। इनको 10 वर्ष के लिए पट्‌टे पर दिया जाएगा। तालाब या जलाशय के पट्टा आवंटन में सामान्य क्षेत्र में ढीमर, निषाद, केवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। इसी तरह अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी।

डीएमएफ का पैसा प्रभावित क्षेत्रों में खर्च करने का बंधन खत्म

मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया, कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान नियम 2015 में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया है। इसके तहत् डीएमएफ के अन्य प्राथमिकता मद में उपलब्ध राशि का 20% सामान्य क्षेत्र में तथा 40% अधिसूचित क्षेत्र में खर्च किए जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। मंत्री का कहना था, इससे ढांचागत निर्माण के कार्य को गति मिलेगी। प्रदेश में सामाजिक एवं आर्थिक विकास तेजी से होगा।

निजी उत्पादकों का सामान भी छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड से बिकेगा

बताया गया, राज्य सरकार, छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ और निजी निवेशकों के बीच त्रिपक्षीय करार के आधार पर स्थापित वनोपज आधारित उद्योगों के उत्पाद को भी छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड दिया जाएगा। इसको छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के अंतर्गत 40% की छूट के साथ खरीदी की संजीवनी और दूसरे माध्यमों से सरकार बेचेगी।

यह फैसले भी हुए

  • विधानसभा के विशेष सत्र में ही सरकार दूसरा अनुपूरक बजट पेश करेगी। इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। – रायपुर के सेरीखेड़ी गांव में विधायकों, अधिकारियों की आवासीय योजना है। अब वहां नये विधायकों के लिए भी जमीन दी जानी है। इसके लिए वहां पटवारी हल्का नम्बर 77 में स्थित सरकारी जमीन 9.308 हेक्टयर का आवंटन किया गया।
  • प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन साधारण प्रकृति के प्रकरणों को वापस लेने के लिये तय अवधि 31 दिसंबर 2017 को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2018 करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इसके तहत अब तक राजनीतिक प्रकृति के 4300 मामले वापस लिए जा चुके हैं।