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दलित मुसलमानों के आरक्षण की मांग पर बीजेपी OBC मोर्चा प्रमुख ने बताया फॉर्मूला

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पिछले कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पसमांदा मुस्लिमों के विकास की जरूरत का जिक्र कर रहे हैं. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपना फोकस दलित और बैकवर्ड मुस्लिमों की ओर मोड़ दिया है.

भारत में मुस्लिमों की कुल जनसंख्‍या के 85 फीसदी इन पसमांदा मुस्लिमों को रिझाने में जुटी बीजेपी कई बार अन्‍य विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर भी रहती है, उसकी एक खास वजह इन दलों का पसमांदा मुस्लिमों को अपना कोर वोट बैंक मानना भी है. हालांकि पसमांदा समाज लगातार तीन प्रमुख मांगों को उठा रहा है और बीजेपी से समर्थन की उम्‍मीद कर रहा है, जिनमें अनुच्छेद 341 के तहत दलित मुस्लिमों को आरक्षण की मांग से लेकर पसमांदा मुस्लिमों के लिए नौकरी के अवसर और एमएसएमई सेक्शन के तहत सहायता दिए जाने और बिहार में जैसे कर्पूरी ठाकुर के आरक्षण का फार्मूला पूरे देशभर में लागू किए जाने की मांग शामिल है.

ऐसे में बड़ा सवाल है कि पसमांदा समाज को रिझाने के लिए लगभग सभी राज्‍यों में सम्‍मेलन और सभाएं कर रही बीजेपी क्‍या दलित और पिछड़े मुस्लिमों के आरक्षण की मांग का भी समर्थन करती है? क्‍या पसमांदा मुस्लिमों की मांगों को पूरा करने के लिए बीजेपी कोई कदम उठाएगी या नहीं. इन सवालों को लेकर न्‍यूज 18हिंदी ने भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्‍यसभा सांसद और केंद्रीय संसदीय बोर्ड भाजपा के सदस्य डॉ के लक्ष्मण से विशेष बातचीत की हैं.

सवाल. पिछले कुछ समय से बीजेपी पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस कर रही है. क्‍या बीजेपी की नजर अब पसमांदा मुस्लिमों के वोट पर है?

जवाब. प्रधानमंत्री नरेंद मोदी सबका साथ-सबका विकास की बात करते हैं. सभी में देश के सभी लोग आते हैं फिर चाहे वे हिंदू हैं, मुस्लिम हैं, बौद्ध हैं, अगड़े हैं या पिछड़े हैं. केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद 2015 में ही बीजेपी ओबीसी मोर्चा का गठन हो गया था, तब तो चुनाव नहीं आने वाले थे. मोदी सरकार का एकमात्र लक्ष्‍य था कि जो भी वंचित हैं, शोषित हैं, उन्‍हें उनका हक मिले, योजनाओं का लाभ मिले, वे भी अगड़ों की बराबरी में पहुंचें. जहां तक पसमांदा मुस्लिमों की बात है तो उन्‍होंने बीजेपी को वोट दिया नहीं दिया, ये कोई मसला नहीं है, उनका विकास होना चाहिए ये जरूरी है. देश में 85 फीसदी आबादी दबे-पिछड़े मुस्लिमों की है, जो पसमांदा कहलाते हैं, इनको लाभ पहुंचे बीजेपी ये प्रयास कर रही है.

सवाल. तो क्‍या बीजेपी और मोदी सरकार पसमांदा मुस्लिमों की आरक्षण की मांग का समर्थन करती है?

जवाब. हां पसमांदा मुस्लिमों की भी आरक्षण को लेकर कुछ मांगें हैं लेकिन यहां समझने वाली ये चीज है कि लगभग सभी प्रदेशों में पहले से ही ओबीसी के अंतर्गत जो पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया जा रहा है उसमें बड़ी संख्‍या में पिछड़े और वंचित मुस्लिम भी शामिल हैं. भारत के संविधान में आर्थिक रूप से, शैक्षिक रूप से या सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की व्‍यवस्‍था खुद बाबा साहब अंबेडकर ने की थी. अंबेडकर ने भी मजहब के नाम पर आरक्षण का विरोध किया. इसलिए पसमांदा समाज को अलग से आरक्षण दिया जाए, ये संविधान के लिहाज से सही नहीं है और संविधान सर्वोपरि है. दलित मुस्लिमों को आरक्षण की मांग को न्‍यायालय भी नहीं मानेगा. सिर्फ वोट की खातिर बीजेपी ऐसी किसी बात का समर्थन नहीं करती है जो संविधान के खिलाफ है.

सवाल. यानि बीजेपी पसमांदा मुस्लिमों की मांगों के खिलाफ है?

जवाब. नहीं. ऐसा नहीं है. पसमांदा मुस्लिम ओबीसी में पहले से ही आरक्षित है, ऐसे में अलग से आरक्षण तो संवैधानिक ही नहीं है लेकिन हां अगर पसमांदा मुसलमान, मुस्लिम आरक्षण के तहत अगर अलग से कोटा मांगते हैं तो बीजेपी इनको समर्थन देगी. जैसे कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया या अन्‍य शैक्षणिक संस्‍थाओं में जहां मुसलमानों के लिए 50 फीसदी आरक्षण है, वहां दलित और पिछड़े मुसलमान अपने लिए अलग से कोटा मांग सकते हैं और इस मांग का समर्थन बीजेपी करती है. ये इसलिए भी ठीक है कि इन संस्‍थाओं में जो भी मुसलमानों के लिए सीटें आरक्षित हैं उनका पूरा लाभ अगड़े या कहें कि 15 फीसदी मुसलमान ही ज्‍यादातर लेते हैं.

सवाल. बीजेपी के कोटा के भीतर कोटा के समर्थन से 15 फीसदी अगड़े मुसलमान नाराज हो सकते है?

जवाब. ऐसा क्‍यों होना चाहिए. अगर गरीब मुसलमान के लिए काम कर रहे हैं तो इसमें क्‍या खराबी है. अगड़ों और पिछड़ों में इतना अंतर तो नहीं रहना चाहिए ना. अंतर रहने से ही तो समाज में अशांति फैली है. हमारा उद्धेश्‍य अगड़े मुसलमानों को नीचे लाने का नहीं है. वे अपनी जगह अच्‍छे हैं, खुश हैं, ये अच्‍छी बात है लेकिन सरकार का दायित्‍व है कि जो बाकी मुसलमान हैं उन्‍हें भी तो ऊपर उठाया जाए. बराबरी तक लाया जाए. सरकार हर व्‍यक्ति की न्‍यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रही है. बिजली, पानी, मकान, रोटी और गांव-गांव तक सड़क पहुंचा रही है. कौन अगड़ा या समृद्ध मुसलमान चाहता है कि उसके अन्‍य मुसलमानों को रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, पानी, सड़क और सुविधाएं न मिलें. सरकार भी यही चाहती है.

सवाल. आखिर बीजेपी किस तरह पसमांदा मुस्लिम को लाभ पहुंचा रही है?

जवाब. मोदी सरकार का उद्धेश्‍य है कि दलित और शोषित या वंचित हिंदू हो चाहे मुस्लिम हो सभी को बेसिक सुविधाएं दी जाएं. सरकार में भागीदार बना के उनका गौरव बढ़ाया जाए. आप यूपी में ही देखिए मोदी सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना के अतिरिक्‍त 15 करोड़ लोगों को योगी सरकार राशन पहुंचा रही है, इसमें गेहूं, चावल ही नहीं बल्कि चीनी, नमक भी शामिल है. इनमें सबसे ज्‍यादा लाभांवित पिछड़ी मुस्लिम आबादी हो रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने गरीब के घर पर छत के लिए 5 साल में 50 लाख से ज्‍यादा मकान दिए हैं. ओबीसी समाज में वेंचर कैपिटल फंड के नाम पर राशि दी जा रही है. इसके अलाव प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना से लाखों गरीबों और पिछड़ा वर्ग के लिए चलाई जा रही हैं. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, किसान सम्‍मान निधि या आयुष्‍मान भारत हो, इसमें पिछड़ा वर्ग ही सबसे ज्‍यादा लाभान्वित हो रहा है. आप मुसलमानों में देखिए पसमांदा मुसलमान बताते हैं कि पर्सनल लॉ बोर्ड, बड़ी-बड़ी संस्‍थाओं और नौकरियों में उन्‍हें मौका ही नहीं मिलता. वे मौलाना भी नहीं बन सकते. वक्‍फ बोर्ड में सदस्‍य नहीं बन सकते. ऐसे में जैसे मोदी सरकार हिंदू वर्ग में भी पिछड़े और दलित हैं उनके विकास के लिए काम कर रही है उसी तरह पसमांदा समाज को बराबरी में लाने की कोशिश की जा रही है. मोदी जी चाहते हैं कि पिछड़ा वर्ग समाज में नौजवान रोजगार मांगने वाला नहीं होना चाहिए बल्कि रोजगार पैदा करने वाला संस्‍था बनना चाहिए. .