खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों की वजह से डायबिटीज के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं. लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए आजवर्ल्ड डायबिटीज डेमनाया जा रहा है.
भारत में भी इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2019 तक डायबिटीज के 77 मिलियन मरीज हैं. 20 से 80 साल की उम्र वाले वर्ग में भारत डायबिटीज मरीजों की संख्या में दूसरे स्थान पर है.
पहले कहा जाता था कि डायबिटीज की बीमारी केवल बुजुर्ग लोगों को होती है, लेकिन अब बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. इनमें अधिकतर मामले टाइप-2 डायबिटीज के हैं. वरिष्ठ मधुमेह विशेषज्ञ और RSSDI डॉ. बीएम मक्कड़ बताते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत की एक निर्धारित उम्र को परिभाषित करना अब बहुत मुश्किल है. अब 14-20 साल के बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. पिछले एक दशक से इस आयु वर्ग में टाइप 2 मधुमेह के मामलों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. बच्चों में डायबिटीज के मामलों में लगभग 12-25% टाइप 2 के हैं.
बच्चों में बढ़ता मोटापा खतरे का संकेत
डॉ. बीएम मक्कड़ कहते हैं कि बच्चों में मोटापे की बढ़ती दर है, शारीरिक गतिविधियों की कमी, देर रात तक काम करने की आदत घंटे, आसानी से भोजन की उपलब्धता और जंक फूड के बढ़ते सेवन की वजह से डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं. अगर गर्भावस्था के समय मां मोटापे से ग्रस्त है तो किशोरावस्था में संतान को टाइप 2 मधुमेह होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है.
जिन बच्चों को जीवन के प्रारंभिक चरण में टाइप 2 मधुमेह हो जाता है, जैसे कि 15 साल की उम्र में, यह उनके पूर्जी वन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
अपोलो टेलीहेल्थ की सीईओ विक्रम थापलू कहते हैं कि देश में 20 से 70 साल की उम्र के कुल जनसँख्या के 8.7 % लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. जैसा कि सभी जानते हैं कि डायबिटीज एक लाइफस्टाइल से सम्बंधित बीमारी है, लेकिन अब ये भारत में महामारी का रूप ले चुकी है. डायबिटीज कई कारणों से होती है इसलिए इससे निपटने के लिए भी अलग-अलग दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत है. इसके लिए इस बीमारी के लक्षणों और बचाव के तरीकों की जानकारी जरूर होनी चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
बच्चों में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर टाइप 2 मधुमेह वाले बच्चों की डायबिटीज को निगरानी और नियंत्रण नहीं किया जाता है, तो यह उनके जीवन के लिए खतरनाक बन सकता है. ऐसे मामलों मे जोखिम 35 वर्ष की आयु में ही आ सकते हैं, जिसका अर्थ है कि उनका पूरा जीवन प्रभावित होगा. बच्चों को डायबिटीज से बचाने के लिए इन चार बातों को ध्यान रखना जरूरी है.
1.बच्चों को एक्टिव रखें और खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करें
2.बच्चों का वजन न बढ़ने दें
3.खानपान का ध्यान रखें और जंक फूड खिलाने से बचें
4. बच्चों के स्क्रीन टाइम को दिन में 1 से 2 घंटे तक सीमित करें
5. अधिक फैट वाली डाइट न दें…