डायबिटीज लाइफस्टाइल से संबंधित बेहद गंभीर बीमारी है जिसमें किडनी फेल होने का खतरा हमेशा बना रहता है. जिन डायबिटीज के मरीजों को किडनी की बीमारी होती है उसे डायबेटिक नेफरोपैथी कहते हैं.
यह टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज दोनों स्थितियों में हो सकता है. इसे डायबेटिक किडनी डिजीज भी कहा जाता है. किडनी शरीर से खतरनाक पदार्थों को पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देती है लेकिन जब डायबेटिक किडनी डिजीज होता है तो यह किडनी के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है.
डायबेटिक किडनी डिजीज से बचने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि लाइफस्टाइल को तत्काल सुधारा जाए और ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कंट्रोल किया जाए. अगर यह बीमारी ज्यादा दिनों तक रहती है या इसका शुरुआत में ही इलाज नहीं कराया जाता है तो इसमें किडनी फेल होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
कैसे पहचानें किडनी फेल होने वाली है
प्रतिष्ठित हेल्थ वेबसाइट मायो क्लिनिक के मुताबिक सामान्य तौर पर शुरुआती दौर में डायबेटिक किडनी डिजीज का उपर से पता नहीं चलता है लेकिन अगले स्टेज में इसके लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं. डायबेटिक किडनी डिजीज की स्थिति में ब्लड प्रेशर बिगड़ने लगता है. या तो ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा हाई हो जाता है या कम होने लगता है.
इसके साथ ही बार-बार पेशाब करने की तलब होती है और सबसे जो बुरा काम होता है वह यह कि पेशाब से प्रोटीन निकलने लगता है. वहीं किडनी डिजीज होने पर पैरों, टखनों, हाथों या आंखों के आसापस सूजन स्पष्ट दिखाई देने लगती है. इससे डायबेटिक किडनी डिजीज का स्पष्ट पता लगाया जा सकता है. इसके साथ ही इंसुलिन या डायबिटीज की दवा की आवश्यकता कम होने लगती है. भ्रम की स्थिति या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है. सांस लेने में कठिनाई होती है. भूख नहीं लगती है. मतली और उल्टी आने लगती है. लगातार खुजली होती रहती है. हर वक्त थकान रहती है. डायबिटीज के मरीजों को अगर ये सब लक्षण हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
डायबेटिक किडनी डिजीज से कैसे बचें
अगर आप डायबेटिक है और शुरुआत में अगर आपका ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों गड़बड़ा रहा है तो नियमित तौर पर इसकी जांच करवाते रहे और दवाई लेते रहे. रूटीन के हिसाब से डॉक्टर के पास जाएं. डायेबेटिक नेफ्रोपेथी की दवा लेते रहे. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें. वजन पर नियंत्रण रखें. डायबिटीज के मरीज लाइफस्टाइल में बदलाव करें और खान-पान का विशेष ध्यान रखें.
सिगरेट-शराब को बाय कहें
हरी साग-सब्जी का ज्यादा सेवन करें. जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा मीठा ज्यादा नमकीन चीजों से परहेज करें. बुरी आदतें जैसे कि स्मोकिंग, शराब इत्यादि को छोड़ दें. लगातार अपना ब्लड प्रेशर और शुगर चेक करें. डायबेटिक किडनी डिजीज के संकेत दिखे तो डॉक्टर से परामर्श लेकर किडनी अल्ट्रासाउंड टेस्ट, सीरम, यूरिया, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन टेस्ट, यूरिन फॉर माइक्रो एल्ब्यूमिन यूरिया टेस्ट समय-समय पर कराते रहें.