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सोने की बढ़ सकती है मांग, विदेशी ब्रोकरेज ने बताया कारण, कीमतों पर क्या होगा असर ?

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विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) का अनुमान है कि कीमतों में बढ़ोतरी और पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड आयात की वजह से सोने की उपभोक्ता मांग में गिरावट हो सकती है. डब्ल्यूजीसी के इस अनुमान के बीच एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती मुद्रास्फीति के चलते परिवारों की ‘हेजिंग’ के लिए सोने की मांग बढ़ सकती है. ऐसे में सोने की मांग अधिक रहने की संभावना है. हेजिंग से आशय जोखिम से बचाव के लिए किए जाने वाले निवेश से है.

पिछले महीने सरकारी आंकड़ों में दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सोने का आयात 33.34 प्रतिशत बढ़कर 837 टन या 46.14 अरब डॉलर का हो गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी के कारण आयात के निचले स्तर से 1.5 गुना अधिक तथा वित्त वर्ष 2016-20 के महामारी-पूर्व के औसत से 12 प्रतिशत अधिक है. इससे चालू खाते का घाटा बढ़ा है और इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है.

Gold का आयात बढ़ा
महामारी से प्रभावित वित वर्ष 2020-21 में आयात केवल 34.62 अरब डॉलर का था. वित वर्ष 2012-13 में रिकॉर्ड 54 अरब डॉलर के आयात के बाद सोने की भारत आने वाली खेप कम होती रही है और वित्त वर्ष 2019-20 में यह 28 अरब डॉलर तक गिर गई. लेकिन उसके बाद आयात फिर से बढ़ना शुरू हुआ और वित वर्ष 2020-21 में 25 अरब डॉलर और आगे जाकर वित वर्ष 2021-22 में 46 अरब डॉलर से अधिक का हो गया.

43 अरब डॉलर के आयात का अनुमान
वित्त वर्ष 2022-23 में सोने का आयात मामूली घटकर 43 अरब डॉलर का रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2021-22 के आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 192.41 अरब डॉलर हो गया जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 102.62 अरब डॉलर था.

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है. आयात बड़े पैमाने पर आभूषण उद्योग द्वारा संचालित होता है. 2021-22 में रत्न और आभूषण निर्यात लगभग 50 प्रतिशत बढ़कर लगभग 39 अरब डॉलर का हो गया. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, चालू खाते का घाटा पहली तीन तिमाहियों में बढ़कर 23 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.7 प्रतिशत हो गया.