कांग्रेस ने जानेमाने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर लंबी मंत्रणा के बाद मंगलवार को कहा कि किशोर को ‘विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह -2024’ का हिस्सा बनकर पार्टी में शामिल होने की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. पिछले कई दिनों से प्रशांत किशोर की ओर से दिए गए सुझावों और उनके पार्टी से जुड़ने की संभावना को लेकर कांग्रेस के भीतर लगातार मंथन हो रहा था. प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष पार्टी को मजबूत करने और अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में विस्तृत प्रस्तुति दी थी. उनके सुझावों पर विचार करने के लिए सोनिया गांधी ने आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था.
2024 लोकसभा चुनाव के लिए गठित कार्य समूह का हिस्सा बनकर कांग्रेस में शामिल होने से प्रशांत किशोर के इनकार करने के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “प्रशांत किशोर की प्रस्तुति और उनके साथ चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ का गठन किया और किशोर को निर्धारित जिम्मेदारी के साथ इस समूह का हिस्सा बनकर पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने इनकार कर दिया. हम उनके प्रयासों और पार्टी को दिए गए सुझावों की सराहना करते हैं.”
कांग्रेस में बड़े क्रांतिकारी सुधार लाने के लिए प्रशांत किशोर खुली छूट चाहते थे, जिसे लेकर पार्टी सहज नहीं थी. इसके बजाय पार्टी ने उन्हें 2024 के चुनावों के लिए रणनीति बनाने वाली समिति में एक पद की पेशकश की.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी बेटी और पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किशोर का समर्थन किया. लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी रणनीतिकार के खिलाफ थे.क्योंकि 2014 के आम चुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान को प्रशांत किशोर ने ही गढ़ा था, इसलिए पीके पर भरोसे के मुद्दे को लेकर भी कांग्रेस अपना मन नहीं बना सकी.कांग्रेस के एक वर्ग ने तेलंगाना के सत्तारूढ़ दल के साथ आई-पैक के सौदे की ओर इशारा करते हुए प्रशांत किशोर की “वैचारिक” प्रतिबद्धता की कमी का हवाला दिया. हालांकि दावा किया जा रहा है किशोर का अब आई-पैक के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं है. गौरतलब है कि आई-पैक संगठन की स्थापना प्रशांत किशोर ने ही की थी.सूत्रों ने यह भी कहा कि कांग्रेस के दिग्गज बदलाव के खिलाफ हैं. पार्टी के कायाकल्प के लिए प्रशांत किशोर की योजनाओं में स्पष्ट रूप से एक नेतृत्व सुधार शामिल था, जिसके तहत जन नेताओं को छोड़कर सभी को दरकिनार कर दिया जाएगा. इसमें पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था वर्किंग कमेटी सहित प्रमुख टीमों के अधिकांश नेता शामिल होंगे.