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Franklin Templeton के म्‍यूचुअल फंड में पैसे लगाने वालों को झटका! सुप्रीम कोर्ट ने रोकी अगली किस्‍त, आखिर क्‍यों?

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अमेरिकी कंपनी फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड (Franklin Templeton Mutual Fund) के निवेशकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद निवेशकों को अगली किस्‍त का पैसा पाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

म्‍यूचुअल फंड डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स की संस्‍था फाउंडेशन ऑफ इंडिपेंडेंट फाइनेंशियल एडवाइजर्स (FIFA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के कमीशन का भुगतान किए जाने की मांग की थी. इसके बाद शीर्ष अदालत ने SBI म्यूचुअल फंड्स को अगली किस्‍त बांटने से रोक दिया है. गौरतलब है कि दो साल पहले फ्रैंकलिन ने अपनी छह डेट योजनाओं को बंद कर दिया था, जिसके बाद निवेशकों के करीब 26,098 करोड़ रुपये फंस गए थे. निवेशकों की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI म्यूचुअल फंड्स को पैसे बांटने की जिम्‍मेदारी सौंपी थी

अब अटक गए 530 करोड़
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद SBI म्यूचुअल फंड्स की ओर निवेशकों को मिलने वाली 530 करोड़ की अगली किस्‍त अटक गई. FIFA ने अपनी याचिका में कहा था कि फ्रैंकलिन की बंद हो चुकी योजनाओं में अप्रैल, 2020 के बाद डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के बने कमीशन को भी निवेशकों के पैसों में शामिल कर दिया गया था. इस पूरे पैसे को SBI म्यूचुअल फंड्स को ट्रांसफर कर दिया गया है, जिसमें से हमें कमीशन मिलना चाहिए. इसके बाद शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने के लिए अगली किस्‍त पर फिलहाल रोक लगा दी है.

डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स को गंवानी पड़ी कमाई
याचिका में डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स ने कहा है कि सेबी सहित सभी एजेंसियों ने पूरे मामले में उनके हितों को सुरक्षित रखने का कोई प्रावधान नहीं किया. फ्रैंकलिन का बिजनेस बढ़ाने में डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स की अहम भूमिका रही है और जब कंपनी ने 6 डेट योजनाओं को बंद किया तो कमीशन के रूप में हमारी बड़ी कमाई का पैसा फंस गया. डिस्‍ट्रीब्‍यूटर के रूप में काम करने के बाद बने कमीशन का पैसा उन्‍हें अब तक नहीं मिल सका है.
80-100 करोड़ रुपये की देनदारी
फ्रैंकलिन की 6 डेट योजनाओं में रिगुलर प्‍लान के तहत ही डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स के 80-100 करोड़ रुपये फंसे हैं. ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि मामला सामने आने के बाद मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कंपनी के खातों को फ्रीज कर दिया था. रेगुलर प्‍लान के तहत निवेशकों पर एसेट मैनेजमेंट फीस के साथ कमीशन की भी देनदारी बनती है. ऐसे में डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स को करीब 100 करोड़ रुपये मिलने हैं.